Advertisement

जानें- क्या होती है भूकंप आने की वजह, तीव्रता से होता है ये असर

दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई इलाकों में कई बार झटके महसूस किए जा चुके हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता बढ़ते ही इससे होने वाले खतरे भी बढ़ जाते हैं. आइए जानें- भूकंप आने की खास वजह और रिक्टर स्केल पर इसका क्या होता है असर.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 जून 2020,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

दिल्ली एनसीआर सहित देश के तमाम हिस्सों में भूकंप का खतरा मंडरा रहा है. भूकंप को लेकर अभी भी कोई वैज्ञानिक सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सका है. आइए जानते हैं क्या होती है भूकंप की वजह.

धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं, प्लेट्स एक दूसरे से रगड़ खाती हैं, उससे अपार ऊर्जा निकलती है, और उस घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर की धरती डोलने लगती है. कई बार धरती फट तक जाती है, कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं, इन्हें आफ्टरशॉक कहते हैं.

Advertisement

कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें

जितना ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आता है, उतना ही अधिक कंपन होता है. जैसे 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर जहां इमारतें गिर जाती हैं वहीं 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है.

किसी भूकंप के समय भूमि के कंपन के अधिकतम आयाम और किसी आर्बिट्रेरी छोटे आयाम के अनुपात के साधारण गणित को 'रिक्टर पैमाना' कहते हैं. 'रिक्टर पैमाने' का पूरा नाम रिक्टर परिमाण परीक्षण पैमाना (रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल) है और लघु रूप में इसे स्थानिक परिमाण (लोकल मैग्नीट्यूड) है.

देश-दुनिया के किस हिस्से में कितना है कोरोना का कहर? यहां क्लिक कर देखें

जानें रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता के हिसाब से क्‍या हो सकता है असर:

- 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है.

Advertisement

- 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है.

- 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर होता है.

- 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं. दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं.

- 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है.

- 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है.

- 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं. जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं.

- 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं.

- 9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर पूरी तबाही. कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी. समंदर नजदीक हो तो सुनामी. भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है.

आपको बता दें कि हिमालय के इर्दगिर्द का हिस्सा इंडियन प्लेट कहा जाता है. अफगानिस्तान की ओर जाने वाला हिस्सा यूरेशिया प्लेट कहलाता है. वहीं उसके बगल में अरब और अफ्रीकी प्लेट भी हैं. भूकंप तब आता है जब ये प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं, प्लेट्स एक दूसरे से रगड़ खाती हैं, जिससे इसमें अपार ऊर्जा निकलती है, और उस घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर की धरती डोलने लगती है. यही नहीं कई बार धरती फट तक जाती है, कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं...इन्हें आफ्टरशॉक भी कहते हैं.

Advertisement

नोट- परीक्षा की डेटशीट देखने के लिए यहां डायरेक्ट क्लिक करें.

वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप की पूरी भविष्यवाणी तो संभव नहीं है लेकिन ये जरूर पता लगाया जा सकता है कि धरती के नीचे किस इलाके में किन प्लेट्स के बीच हलचल ज्यादा है, किन प्लेट्स के बीच ज्यादा ऊर्जा पैदा होने की आशंका है. 2012 में छपी एक रिसर्च के मुताबिक कुछ तथ्य जो सामने आए हैं, वो इस प्रकार हैं.

-हिमालय के केंद्रीय हिस्से में रिक्टर स्केल पर 8 से 8.5 की तीव्रता के कई भूकंप आ चुके हैं

-इन बड़े भूकंपों ने इस इलाके में गहरी दरारें पैदा कर दी हैं

-खास तौर पर साल 1934 में आए भूकंपों ने हिमालय के आसपास का नक्शा ही बदल दिया.

-1934 में आए भूकंप ने तो सतह पर 150 किलोमीटर लंबी दरार बना दी थी.

वैज्ञानिकों के मुताबिक हिमालय का ये हिस्सा ऐसे बड़े भूकंपों की अनगिनत संभावनाएं लिए हुए है.

ऐसे ही बना था हिमालय पर्वत

वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती में मीलों नीचे भारतीय प्लेट यूरेशिया प्लेट की ओर 45 मिलीमीटर प्रति साल की दर से खिसक रही है. इन दोनों प्लेट्स की इसी रगड़ या दुश्मनी का नतीजा है हिमालय पर्वत. धरती खिसकती रही और पर्वत बनता रहा. अब यही पर्वत आने वाले दिन में बड़ी तबाही की वजह भी बन सकता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement