
दिल्ली सहित उत्तर भारत में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है. इस बीच केंद्र सरकार ने पराली जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. केंद्र सरकार ने हलफनामे में माना कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की मुख्य वजह पराली जलाना है. हालांकि केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में 2016-18 के बीच पराली जलाने में 41 फीसदी कमी हुई है. पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि पराली जलाने से रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते मामले की सुनवाई करेगा.
वहीं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के प्रदूषण के लिए हरियाणा और पंजाब सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. केजरीवाल ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में जल रही पराली की वजह से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ गया है. खट्टर अंकल और कैप्टन अंकल से भी रिक्वेस्ट करते हैं कि पराली जलना बंद कर दें.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 5 साल में हमने प्रदूषण बहुत कम किया था. मार्च से 10 अक्टूबर तक दिल्ली का आसमान साफ दिख रहा था. दिल्ली में 6 लाख जेनरेटर चलते थे, हमने उसे बंद कर दिया. हजारों ट्रक को दिल्ली के अंदर आने से रोक दिया. हजारों पेड़ लगाए. इस वजह से प्रदूषण कम हुआ था.
क्या कहते हैं आंकड़ें?
वहीं, पंजाब में इस साल 23 सितंबर से 27 अक्टूबर के बीच धान की पराली जलाने के 12,027 मामले रिकॉर्ड किए गए हैं. ये आकड़ें पिछले साल के पराली जलाने की घटनाओं के मुकाबले 2,427 ज्यादा है. हालांकि हरियाणा में भी पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं आई है. इस साल 3,705 पराली जलाने के मामले रिकॉर्ड किए गए, जो पिछले साल भी इस अवधि में 3,705 दर्ज हुए थे.
क्यों बढ़ रहे मामले?
जैसे-जैसे नई फसल बोने का समय नजदीक आता जा रहा है, किसान खेतों को तैयार करने की जल्दी में पराली को अंधाधुंध तरीके से जलाने लगे हैं. पंजाब सरकार ने राज्य के सभी जिलों में एक-एक आईएएस अधिकारी को नोडल अफसर के रूप में तैनात किया है जिन्हें पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के काम की देखरेख करनी है. इसके अलावा प्रदेश में किसानों को जागरूक करने का जिम्मा तंदरुस्त पंजाब मिशन के तहत भी चलाया जा रहा है.
धान की कटाई के शुरुआती दौर में ये महसूस किया जा रहा था कि किसानों ने पराली जलाना छोड़ दिया है लेकिन जैसे-जैसे नई फसल की बुआई नजदीक आ रही है, खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आ गई है. पंजाब सरकार का दावा है कि प्रदेश में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है. सरकार का कहना है कि राज्य में किसानों के जरिए धान की पराली जलाने के मामलों में लगातार कमी आ रही है.
वर्ष 2016 के आंकड़े
वर्ष 2016 में 1 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक जहां पराली को आग लगाने के 3715 मामले सामने आए थे, वो इस साल इसी अवधि में केवल 700 रह गए हैं. पंजाब सरकार का कहना है कि ओवरआल पंजाब के 60 फीसदी किसानों ने अब पराली जलाना छोड़ दिया है और हैपी सीडर जैसी नवीन तकनीक के जरिए खेतों में पराली का बिना जलाए समाधान किया जा रहा है.
वहीं दूसरी ओर गैर-सरकारी आंकड़े दावा कर रहे हैं कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 25 फीसदी की वृद्धि हुई है. राज्य सरकार ने कई सख्त कदम भी उठाए हैं और कई किसानों के खिलाफ केस भी दर्ज किए गए हैं. बीते 24 घंटों के दौरान सिर्फ मोगा में ही 14 किसानों पर जुर्माना लगाया गया. बताया जा रहा है जुर्माने के बावजूद भी पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं आई है.