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प्रदूषण से दिल्ली-NCR की सांसें घुटीं, हेल्थ इमरजेंसी घोषित, छठ पर नहीं फोड़ पाएंगे पटाखे

सुप्रीम कोर्ट के एक पैनल ने शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की और 5 नवंबर तक निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके साथ ही पटाखा फोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

दिल्ली में प्रदूषण (फाइल फोटो) दिल्ली में प्रदूषण (फाइल फोटो)
मिलन शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के एक पैनल ने शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की और 5 नवंबर तक निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके साथ ही पटाखा फोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता गुरुवार रात और खराब हो गई और अब गंभीर स्तर पर है. पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) के चेयरपर्सन भूरे लाल ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के मुख्य सचिवों को खत भी लिखा है.

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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर 'ज्यादा गंभीर' श्रेणी में प्रवेश कर गया है. यही कारण है कि पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने सर्दियों के मौसम में पटाखे फोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया.

दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता गुरुवार रात और खराब हो गई. अब यह गंभीर स्तर पर पहुंच गई है.

उन्होंने पत्र में कहा, 'हमें इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में लेना होगा क्योंकि वायु प्रदूषण का सभी पर, विशेष रूप से हमारे बच्चों पर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव पड़ेगा.'

पराली जलाए जाने से वायु गुणवत्ता 'अति गंभीर'

पंजाब और हरियाणा में प्रतिबंध के बावजूद लगातार पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की वायु गुणवत्ता बहुत ज्यादा बिगड़ गई है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) इंडिया के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 412 पर पहुंच गया है जो 'अति गंभीर' श्रेणी में आता है.

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आंकड़ों के अनुसार, पराली जलाए जाने से दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को धुंध और वायु प्रदूषण 35 प्रतिशत रहा, गुरुवार को इसके 24 प्रतिशत रहने का अनुमान था और शुक्रवार को इसके 25 प्रतिशत रहने का अनुमान है. फसल के अवशेषों को जलाने की अपेक्षा उन्हें उर्वरकों में बदलने के लिए जरूरी तकनीकों और मशीनरियों को खरीदने के लिए किसानों को केंद्र सरकार द्वारा 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान किए जाने के बावजूद पराली जलाए जाने की समस्या अभी भी है.

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