
कोई फांसी पर चढ़ने जा रहा है. जेलर उसके पास जाकर पूछता है बताओ कोई आखिरी ख्वाहिश है? वो अपनी ख्वाहिश बता भी देता है. लगता है चलो मामला खत्म. मगर ख्वाहिश पूछने के बाद फांसी की तारीख ही आगे बढ़ जाती है. लिहाज़ा कुछ दिन बाद जेलर फिर उसके पास जाता है. फिर नए सिरे से पूछता है बताओ कोई आखिरी ख्वाहिश है? अब ऐसे में फांसी पर चढ़ने वाले को गुस्सा आएगा कि नहीं? तिहाड़ जेल में फांसी की राह देख रहे निर्भया के चारों गुनहगारों के साथ फिलहाल कुछ ऐसा ही हो रहा है.
8 जनवरी 2020, तिहाड़ जेल नंबर-3
निर्भया के गुनहगार मुकेश, पवन, विनय और अक्षय चारों तिहाड़ की जेल नंबर 3 के डेथ सेल में पहुंचाए जा चुके थे. डेथ सेल में पहुंचने की वजह भी चारों को पता थी. क्योंकि 24 घंटे पहले ही यानी सात जनवरी की शाम चारों जेलर के ज़रिए उनकी फांसी की तारीख बताई जा चुकी थी. डेथ वॉरंट निकल चुका था. डेथ वारंट पर मौत की तारीख थी 22 जनवरी और वक्त सुबह 7 बजे का. डेथ वारंट जारी होने के 24 घंटे बाद 8 जनवरी को तिहाड़ जेल तीन नंबर के जेलर पहली बार चारों के डेथ सेल में अलग अलग जाकर अधिकारिक रुप से पूछते हैं बताइये आप लोगों की आखिरी ख्वाहिश क्या क्या है? किन-किन से मिलना है और कौन-कौन से अधूरे काम पूरे करने हैं.
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15 दिन बाद, 23 जनवरी 2020
तिहाड़ जेल के वही जेलर 15 दिन के अंदर अंदर एक बार फिर चारों से अलग अलग पूछ रहे थे. बताइये आप लोगों की आखिरी ख्वाहिश क्या क्या है? किन-किन से मिलना है और कौन कौन से अधूरे काम पूरे करने हैं. जेल मनुअल कहता है कि फांसी पर चढ़ाए जाने वाले शख्स से उसकी आखिरी ख्वाहिश ज़रूर पूछी जानी चाहिए. उसके अधूरे काम पूरा करने का उसे पूरा मौका मिलना चाहिए लेकिन कानून के दायरे में रहकर. पर निर्भया के इन चार गुनहगारों का ये केस अपने आप में बेहद अजीब है. ये चारों मौत की सज़ा पाए शायद पहले ऐसे गुनहगार हैं. जिनसे अब तक दो दो बार आखिरी ख्वाहिश पूछी जा चुकी है. बहुत मुमकिन है कि तीसरी चौथी बार भी पूछी जाए. फिर कहीं ऐसा ना हो कि आजिज़ आकर चारों खुद ही बोल पड़ें कि बार-बार आखिरी ख्वाहिश पूछकर किश्तों में मारने की बजाए बिना ख्वाहिश पूछे ही मार डालो.
कानून में झोल की वजह से बढ़ी तारीख
दरअसल, ये हालात इसलिए पैदा हुए क्योंकि हमारे कानून में ही कई जगह झोल है. सात जनवरी को जब पटियाला हाउस कोर्ट ने पहली बार डेथ वारंट जारी किया था. तब इन चारों की कोई भी कानूनी याचिका किसी भी अदालत में लंबित नहीं थी. लिहाज़ा अदालत ने चारों की मौत की तारीख और वक्त मुकर्रर कर दिया. जेलर ने भी चारों से आखिरी ख्वाहिश पूछ डाली. मगर उसके अगले ही दिन इनमें से एक मुकेश क्यूरेटिव पिटिशन के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट से दया याचिका के हथियार के साथ राष्ट्रपति भवन. फिर क्या था उसी पटियाला हाऊस कोर्ट को अपने ही जारी डेथ वारंट को आगे सरकाना पड़ा और नई तारीख निकालनी पड़ी एक फरवरी 2020.
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जेलर ने फिर पूछी दोषियों की आखिरी ख्वाहिश
अब इस नई तारीख के साथ तिहाड़ जेल के जेलर की मजबूरी थी कि वो नए सिरे से फिर से चारों की आखिरी ख्वाहिश पूछे. क्योंकि ये जेल मनुअल का हिस्सा है. लिहाज़ा जेलर ने ऐसा ही किया. 23 जनवरी को जेलर ने फिर चारों से इनकी आखिरी ख्वाहिश पूछी. इस बार भी जेलर ने कुछ गलत नहीं किया क्योंकि कायदे से देखें तो एक बार फिर इन चारों में से किसी की कोई भी कानूनी याचिका आज की तारीख में किसी भी अदालत में लंबित नहीं है.
तो जेलर मान कर चल रहे हैं कि फांसी 1 फरवरी को ही होगी. लेकिन ये तस्वीर का एक पहलू है. दूसरा पहलू ये बताता है कि जेलर को तीसरी बार भी चारों से उनकी आखिरी ख्वाहिश पूछनी पड़ेगी. क्योंकि एक फरवरी से पहले चार में से कम से कम तीन फिर अदालत पहुंचेंगे, अपनी उस लाइफ लाइन को लेकर जो इन्होंने अभी बचा रखी है.