
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बच्चे बेचने वाले एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है. इस मामले में अब तक 10 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इनमें वह मास्टरमाइंड महिला भी है जो अपने सरोगेसी सेंटर के जरिये इस रैकेट को चला रही थी. महिला का पति अर्धसैनिक बल में असिस्टेंट कमांडेंट है.
सूत्रों के मुताबिक करीब डेढ़ महीने पहले सूचना मिली थी कि एक बड़ा गिरोह सेरोगेसी सेंटर के जरिये बच्चों को बेचने का काम कर रहा है. पुलिस ने सबसे पहले हरियाणा से एक कार से नवजात शिशु को बरामद किया. साथ ही तीन लोग गिरफ्तार किए गए. गिरफ्तार लोगों में दिल्ली के उत्तम नगर का राहुल तिवारी और उसकी पत्नी ज्योति तिवारी थी, जो कोई संतान न होने के चलते 4 लाख में उस नवजात बच्ची को खरीदने आए थे. राहुल पेशे से प्रॉपर्टी डीलर है. पुलिस ने उस शख्स जहांगीर को भी गिरफ्तार किया जो इन्हें बच्ची बेचने आया था.
पूछताछ में पता चला है कि हरियाणा से बरामद बच्ची को शकीला नाम की महिला ने मिथिला नाम की महिला को 20 हजार में बेची थी, जो बाद में जहांगीर के जरिये राहुल को बेची जा रही थी. पुलिस ने मिथिला और शकीला को भी गिरफ्तार कर लिया. जांच जैसे जैसे आगे बढ़ती गई पुलिस को इस मामले में कई चौंकने वाली चीजें मिलीं. जांच में पता चला कि इस गिरोह की मास्टरमाइंड कविता टोकस है, जो दिल्ली के मुनीरका इलाके में रहती है. वहीं उसका एक सरोगेसी सेंटर भी है.
पुलिस को जांच के दौरान एक और चौंकने वाला तथ्य सामने आया. यह गिरोह कई आईवीएफ सेंटरों के लैब से मिलीभगत कर स्पर्म और अंडाणु चोरी करवाती थी. फिर जरूरतमंत दंपत्तियों को उसे मुहैया कराती थी. अगर कोई महिला इस लायक नहीं है तो 1 लाख रुपये में किसी दूसरी महिला की कोख किराए पर लेती थी और बच्चे के जन्म के बाद जरूरतमंद दंपति को 4 से 5 लाख रुपये में अवैध तरीके से बच्चे को बेचती थी. पुलिस कविता को तलाश ही रही थी. इसी बीच उसके सरोगेसी सेंटर का मैनेजर जितेंद्र दुबे भी गिरफ्तार हो गया.
पुलिस ने बीते गुरुवार को गैंग की सरगना कविता टोकस को भी गिरफ्तार कर लिया. कविता का पति अर्धसैनिक बल में असिस्टेंट कमांडेन्ट है. पुलिस के मुताबिक कविता की कोई संतान नहीं थी. इसलिए वह बच्चे की चाहत में कई जगहों पर घूमती रही और जब उसका बच्चों की अवैध खरीद फरोख्त करने वाले गैंग से संपर्क हुआ तो वह धीरे धीरे खुद इस काम में कूद गई. जांच जैसे जैसे आगे बढ़ेगी पुलिस को उम्मीद है कि बच्चे बेचने की संख्या में और इज़ाफ़े देखने को मिल सकता है होगी.