
जिस पुलिस पर आम नागरिकों की सुरक्षा का दारोमदार हो, वही अगर अपने परिसर की सुरक्षा में भी असफल साबित हो जाए तो उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लाजमी हैं. मामला राजधानी दिल्ली के लक्ष्मी नगर थाने का है.
पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मीनगर इलाके में के निवासी आकाश की बाइक 18 अगस्त को चोरी हो गई थी, जिसकी तहरीर आकाश दर्ज करवा चुका था. कुछ दिन बाद आकाश को थाने से फोन आया कि उसकी बाइक मिल गई जिसके बाद उसका खुशी का ठिकाना न रहा. वह थाने गया बाइक देखी तो ठीक हालत में थाने में खड़ी थी . पुलिस ने उसको बताया कि गाड़ी लेने के लिए कोर्ट से ऑर्डर लाना होगा जिसके बाद उसे बाइक सुपुर्द की जाएगी.
पीड़ित आकाश का आरोप है कि उससे इस एवज में ढाई हजार रुपये की मांग की गई. उसने 2000 पुलिस को दे भी दिए ओर वकील के माध्यम से कोर्ट में बाइक सुपुर्दगी के लिए अर्जी भी दी, लेकिन जज ने जो कहा उसे सुनकर आकाश के पैरों तले से जमीन खिसक गई.
आकाश को बाइक के थाना परिसर से चोरी हो जाने की जानकारी देते हुए बताया गया कि फिर से एफआईआर भी करवा दी गई है. पीड़ित आकाश का कहना है कि जब पुलिस थाने में ही कोई चीज सुरक्षित नहीं तो इलाके में क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे थाने के अंदर से गाड़ी चोरी हो गई , इस सवाल पर पुलिस अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो वो बचते नजर आए.