
आईआईटी दिल्ली स्टूडेंट्स की एक स्टार्टअप नैनोक्लीन ग्लोबल ने सोशल मीडिया कैंपेन के तहत 'गिफ्ट प्योर एयर' नाम का एक अभियान शुरू किया है. राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए इस अभियान को शुरू किया गया. तीन दिनों के अंदर यह वायरल हो गया है. इस अभियान के तहत दिल्ली के स्कूलों, अस्पतालों और पूरे देश के द्वारा 'नैसोफिल्टर' के बारे में हजारों सवाल पूछे गए हैं.
बता दें कि इस स्टार्टअप ने एक नैसोफिल्टर डिवाइस तैयार की है. यह फिल्टर 10 रुपये का है. इसे 8 घंटे काम में लिया जा सकता है. इससे नाक को अच्छी तरह से कवर कर सकते हैं. इसे 2 दिसंबर को लॉन्च किया जाएगा. इसकी टैग लाइन है 'हैप्पी ब्रीदिंग यानी सुकून की सांस'.
कैसे आया इस डिवाइस को बनाने का ख्याल?
नैनोक्लीन के फाउंडर प्रतीक शर्मा ने जब अपनी मां को अस्थमा से पीड़ित देखा, तो उन्होंने मां के लिए मास्क खरीदने का सोचा. लेकिन उन्हें मास्क पहनने मे बहुत दिक्कत होती थी. तब उन्होंने नाक में फिट करने वाले फिल्टर्स के बारे में सोचा.
इसे बनाने वाली सिविल और मैकेनिकल इंजिनियरिंग की टीम में संजीव जैन, प्रतीक शर्मा, तुषार व्यास और स्टूडेंट जतिन केवलानी के साथ टेक्सटाइल डिपार्टमेंट के फैकल्टी मेंबर प्रो मंजीत जस्सल, प्रो अश्विनी अग्रवाल शामिल हैं. 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर इस डिवाइस को लांच किया जाएगा.
क्या है डिवाइस के फायदे?
उन्होंने बताया कि ये नाक में फिट होते हैं. यह पीएम 2.5 से और बैक्टीरिया से भी बचाता है. फूलों के पराग से जिन लोगों को एलर्जी है, उनके लिए भी यह डिवाइस असरदार है. यह सांस की बीमारियों के खतरे कम करता है. बता दें कि इस डिवाइस को टैक्नोलॉजी डेवलेपमेंट बोर्ड से हाल में ही स्टार्टअप नेशनल अवार्ड 2017 मिला है.
चुना गया टॉप 100 स्टार्टअप में
नैनोक्लीन को एएसटीएम स्टैंडर्ड के तहत इंडियन और कोरियन लैब्रोरेटरी से भी सर्टिफाइड है. इसे हांग-काग ने दुनिया के टॉप 100 स्टार्टअप में चुना है. इस उपलब्धि को हासिल करने वाला यह एकमात्र भारतीय स्टार्टअप है.