
राजधानी दिल्ली और उससे सटे इलाकों में जहरीली हवा से आमजन की हालत खराब है. दिवाली के बाद से ही राजधानी की हवा में धुंध की चादर छाई हुई है और लोगों को मास्क लगाकर जीना पड़ रहा है. दिल्ली देश की राजधानी है यही कारण है कि हर किसी की नज़र इसी शहर पर है, लेकिन सच ये भी है कि दिल्ली से सटे कई शहरों में भी बुरा हाल है जिसने लोगों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है.
अगर आपके पास एंड्रॉएड फोन है तो यहां आपके आस-पास की हवा में प्रदूषण का हाल मिलेगा
दिल्ली में AAP सरकार ने ऑड ईवन लागू किया है और प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई को तेज करने की कोशिश की है. लेकिन सिर्फ दिल्ली ही इससे प्रभावित नहीं है, अभी भी दिल्ली से सटे शहर नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद जैसे शहरों में प्रदूषण से निपटने के लिए ऑड ईवन जैसा तो कोई एक्शन नहीं लिया गया है. हालांकि, दोनों राज्य सरकारों ने प्रदेश के स्तर पर कई नियमों को लागू करने को कहा है.
दिल्ली बनाम NCR, जानें प्रदूषण का क्या है हाल?
AQI डाटा (4 नवंबर, सुबह 11 बजे का डाटा) ( सोर्स: aqicn.org)
दिल्ली: 487, वज़ीरपुर
नोएडा: 613, सेक्टर 125
ग्रेटर नोएडा: 571, नॉलेज पार्क
गुरुग्राम: 510, ग्वाल पहाड़ी
फरीदाबाद: 432, सेक्टर 16
गाजियाबाद: 571, संजय नगर
दिल्ली बनाम पंजाब-हरियाणा!
राजधानी दिल्ली में राज्य सरकार लगातार आरोप लगा रही है कि हरियाणा और पंजाब में जलने वाली पराली के चक्कर में घाटी का हाल खराब हो रहा है. अरविंद केजरीवाल का कहना है कि सिर्फ दिल्ली के करने से उत्तर भारत की हालत ठीक नहीं होगी, बल्कि केंद्र सरकार को सभी राज्य सरकारों को एक साथ लाना होगा.
हरियाणा में अभी तक क्या हुआ एक्शन?
हरियाणा में दिल्ली से सटे इलाकों में प्रदूषण की वजह से बुरा हाल है. गुरुग्राम, फरीदाबाद में राज्य सरकार ने सभी प्राइवेट और सरकारी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया, ताकि बच्चों पर स्मॉग का बुरा असर ना पड़े. इसके अलावा मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर डाटा की कुछ तस्वीरें ट्वीट की हैं जिसमें दिखाया गया है कि हरियाणा के मुकाबले पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं ज्यादा हो रही है, जो प्रदूषण का कारण बनी हैं.
उत्तर प्रदेश में अभी तक क्या हुआ एक्शन?
दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश के भी कई शहरों में प्रदूषण ने अपना कहर ढा रखा है. बीते शुक्रवार राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मसले पर अधिकारियों की बैठक की. इस बैठक में सरकार ने फैसला लिया कि जहां भी निर्माण कार्य किया जा रहा है उसे कवर किया जाए.
इसके अलावा जिन जगहों पर धूल हो वहीं पानी का छिड़काव किया जाए. कूड़े का सही निस्तारण किया जाए. PWD विभाग को आदेश दिया गया था कि जहां प्रदूषण ज्यादा हो, वहां पर काम रोका जाए. योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भी प्रदूषण के मुख्य कारणों में दूसरे राज्यों में जलाई जा रही पराली को ही बताया.