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उपराज्यपाल से मिलेंगे केजरीवाल और सिसिदिया, क्या बनेगी बिगड़ी हुई बात?

केजरीवाल ने लेटर के माध्‍यम से दिल्‍ली के विकास कार्यों के प्रति उपराज्‍यपाल से समर्थन और मार्गदर्शन की मांग की है. साथ ही ये भी बताया है कि किसी भी मामले पर एलजी की "सहमति" की आवश्यकता नहीं होगी.

अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो) अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
रणविजय सिंह/आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 05 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 11:09 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शुक्रवार को राज्य के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करेंगे. दोनों नेता दिल्ली में जारी गतिरोध को दूर करने के लिए उपराज्यपाल से मुलाकात करने जा रहे हैं. दिल्ली में मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों के बंटवारे की लड़ाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य में गतिरोध बरकरार है.

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इससे पहले, गुरुवार को उपमुख्यमंत्री और सर्विसेस विभाग के मंत्री मनीष सिसोदिया ने सर्विसेस विभाग के सचिव को नया आदेश जारी किया. साथ ही सचिव को अदालत की अवमानना का सामना करने की चेतावनी दी है. उन्होंने सचिव से साफ कहा कि वो बुधवार को दिया गया आदेश फौरन लागू करें, वरना उनको अदालत की अवमानना का केस झेलना होगा.

दरअसल, बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसके बाद मनीष सिसोदिया ने ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार उप राज्यपाल से हटाकर मुख्यमंत्री को हस्तांतरण करने के आदेश दिए थे, जिसको सचिव ने मानने से इनकार दिया था.

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में एलजी को दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करने को कहा है. वहीं, गुरुवार को सीएम केजरीवाल ने अनिल बैजल से मिलने का वक्त भी मांगा साथ ही एक लेटर भी जारी किया. केजरीवाल ने लेटर के माध्‍यम से दिल्‍ली के विकास कार्यों के प्रति उपराज्‍यपाल से समर्थन और मार्गदर्शन की मांग की है.

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इसके साथ ही केजरीवाल ने ये भी बताया है कि किसी भी मामले पर एलजी की "सहमति" की आवश्यकता नहीं होगी. उपराज्‍यपाल प्रशासनिक प्रमुख हैं और इस नाते उन्‍हें मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए सभी निर्णयों के संबंध में सूचित किया जाएगा.

केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में एलजी से कहा है कि अगर सर्विसेज विभाग की फाइल उनके पास आती है तो उम्मीद है कि वह इस पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे, क्योंकि अगर वह ऐसा करते हैं तो यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना होगी. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद दिल्ली सरकार और अधिकारियों के बीच टकराव खत्म होता नहीं दिख रहा है. दिल्ली सरकार की ओर से सर्विसेज विभाग को भेजी गई फाइल को अधिकारियों ने बैरंग वापस लौटा दिया है.

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. सीएम केजरीवाल की एलजी को लिखी चिट्ठी इस मायने में अहम हो जाती है.

सर्विसेज विभाग ने लौटाई सिसोदिया की फाइल

दिल्ली सरकार और एलजी के बीच अधिकारों को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया लेकिन फैसले के चंद घंटे के भीतर ही फिर से अधिकारों पर तकरार शुरू हो गई. सर्विसेज विभाग ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की भेजी गई फाइल को लौटा दिया है.

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भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर और मुख्यमंत्री के बीच अधिकारों के बंटवारे की रेखा खींच दी हो लेकिन लगता है अभी खेल बाकी है. इसकी शुरुआत देर रात उस वक्त हुई जब दिल्ली के नौकरशाह के एक वरिष्ठ अफसर ने उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आदेश पर टका सा जवाब देते हुए उसे मानने से साफ इनकार कर दिया.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी लंबे समय से चल रही जंग के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना मुमकिन नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ही राज्य को चलाने के लिए जिम्मेदार है. फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर खुशी जता दी है, उन्होंने कहा है कि दिल्ली में लोकतंत्र की जीत हुई है. आम आदमी पार्टी लगातार आरोप लगाती रही है कि केंद्र की मोदी सरकार एलजी के जरिए अपना एजेंडा आगे बढ़ा रही है और राज्य सरकार को काम नहीं करने दे रही है. 

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