
दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन दिलवाने की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई है. यह याचिका सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने दायर की है.
याचिका में कहा गया है कि गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में दिल्ली सरकार और एमसीडी सरकारी स्कूलों की तर्ज पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के निर्देश दिए जाएं. हाई कोर्ट इस जनहित याचिका पर 21 मई को सुनवाई करेगा.
राजधानी दिल्ली में 2000 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में काम करने वाले करीब 2 लाख से ज्यादा टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को सातवें वेतन आयोग के मुताबिक अभी भी वेतन नहीं दिया जा रहा है. अगर कोई कर्मचारी या टीचर इसके ख़िलाफ़ अपनी आवाज उठाते हैं तो उन्हें निकाले जाने की धमकी दी जाती है.
कई मामलों में कर्मचारियों को स्कूल से निकाल भी गया और दूसरे प्राइवेट स्कूल भी उन्हें नौकरी भी नहीं देते. याचिका में बताया गया है कि दिल्ली सरकार की सहमति के बाद एक जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को यहां लागू कर दिया गया है. लेकिन दिल्ली सरकार की नाक के नीचे नियम होने के बावजूद अभी तक इन सिफारिशों को प्राइवेट स्कूलों में लागू नहीं करवाया गया है.