
महिलाओं के खिलाफ हो रहे हिंसा को रोकने और महिलाओं में जागरूकता फैलाने के मकसद से राष्ट्रपति भवन को नारंगी रंग की लाइटों से सजाया गया है. राष्ट्रपति भवन ने यह पहल विश्वभर में महिलाओं पर हो रही हिंसा के विरोध में एकजुटता दिखाने के लिए की है.
संयुक्त राष्ट्र की ओर से महिलाओं पर हो रही हिंसा पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इस मुहिम में दिल्ली ने भी अपना समर्थन दिया है. बता दें कि बीते कुछ दिनों में महिलाओं के खिलाफ बेहद क्रूर तरीके से की गई हिंसा देखने को मिली हैं. हैदराबाद में महिला को रेप के बाद दरिंदों ने जिंदा जला दिया. वहीं, उत्तर प्रदेश के उन्नाव में भी रेप पीड़िता को आग के हवाले कर दिया, जिसके बाद पीड़िता ने दिल्ली के अस्पताल में दम तोड़ दिया था. ऐसा ही वाक्या बिहार के बक्सर से भी आई थी जहां पीड़िता को जलाने की कोशिश की गई.
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने महिलाओं व लड़कियों के प्रति हिंसा समाप्त करने का सोमवार को आह्वान किया है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, नवंबर के अंत में अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के अवसर पर उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा था, 'मैं सरकारी व निजी क्षेत्रों व समाज के हर तबके के लोगों से यौन हिंसा और स्त्री-द्वेष के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का आह्वान करता हूं.'
उन्होंने कहा था, 'हमें पीड़ितों, समर्थकों और महिला अधिकारों के रक्षकों के साथ अधिक एकजुटता दिखानी चाहिए और हमें महिलाओं के अधिकारों व समान अवसरों को बढ़ावा देना चाहिए. हम सब एक साथ मिलकर हर तरह के यौन दुराचारों और दुष्कर्मो का खात्मा कर सकते हैं.'
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है.
गुटेरेस ने कहा कि यह हिंसा दुनिया के सबसे भयावह, निरंतर होने वाली और बड़े पैमाने पर फैले हुए मानव अधिकारों के उल्लंघन में से एक है, जो दुनिया में हर तीन में से एक औरत को प्रभावित करती है.
उन्होंने यह भी कहा कि इस पुरुष वर्चस्व वाले समाज में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा सदियों से निहित है. यह लैंगिक असमानताएं दुष्कर्म जैसी घटनाओं के लिए ईंधन का काम करती हैं, जो समाज में शक्ति असंतुलन पर सवाल उठाती हैं. लांछन, गलतफहमी, इनका रिपोर्ट न किया जाना और कानून का खराब प्रवर्तन ही इन्हें (अपराध) बढ़ावा देता है और शारीरिक दुष्कर्म का उपयोग आज भी युद्ध के एक भयावह हथियार के रूप में किया जाता है.