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गुरमीत राम रहीम कांड के बाद क्यों फिक्रमंद हैं दिल्लीवाले 'असली' बाबा...

राम रहीम की करतूतों को देखने और सुनने के बाद अब भक्त तो बाबाओं से तौबा कर ही रहे हैं, बाबा और महंत सावधान हो गए हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
कपिल शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 6:18 AM IST

राम रहीम की करतूतों को देखने और सुनने के बाद अब भक्त तो बाबाओं से तौबा कर ही रहे हैं, बाबा और महंत सावधान हो गए हैं. फिक्र इमेज की भी है और धर्म को पहुंच रहे आघात की भी. संत-महंतों को भी लगने लगा है कि धर्म का चोला पहनकर अधर्म की लीला करने वालों से उन धर्मगुरुओं के प्रति भरोसा दरक रहा है, जो वाकई धर्म-कर्म के काम में लगे हुए हैं.

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राम-रहीम की करतूतों का हिसाब कोर्ट में हुआ. रेप केस न सिर्फ साबित हुआ, बल्कि बाबा बीस साल के लिए जेल भी चला गया. बाबा के चोले में बैठे एक बलात्कारी के चेहरे से नकाब गिरा, लेकिन भरोसा उन बाबाओं से भी उठ रहा है, जिनका राम रहीम या उनकी लीलाओं से कोई लेना देना नहीं है. फिक्र उन डेरों की भी बढ़ रही है, जो धर्म के अनुसार कर्म के मार्ग पर चलने का दावा कर रहे हैं. डर उन धर्मगुरुओं को भी है कि फर्जी बाबाओं की बाढ़ में कहीं उनकी तपस्या का तेल न निकल जाए.  इसीलिए वे भक्तों को भरोसा दे रहे हैं कि भक्ति करो अंध भक्ति नहीं. कालका जी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत कहते हैं कि झूठे और फरेबियों के अपराधों का खामियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ रहा है.

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कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत कहते हैं, 'नेता पकड़ा जाता है तो राजनीति बदनाम नहीं होती, डॉक्टर पकड़ा जाता है तो डॉक्टरी बदनाम नहीं होता, लेकिन बाबा पकड़ा जाता है तो पूरा धर्म बदनाम हो जाता है, क्योंकि लोगों की आस्था जुड़ी है, लोग भरोसा करते हैं, ये धर्म पर बड़ा आघात है और एक धर्म गद्दी पर बैठे होने के नाते मैं भी आहत हूं, लोगों का धर्मगुरुओं से भरोसा डिगेगा, ये सच है.'

महंत अपनी चिंता जता रहे हैं, तो इसमें एक बडी तस्वीर भी छिपी है, जिसे कोई और नहीं बल्कि भक्तों को ही समझना होगा, क्योंकि कोई भी बाबा या यूं कहें कि ढोंगी बाबा खुद से बड़ा नहीं होता, लोगों की अंधभक्ति उसे बड़ा बनाती है और फिर भक्तों की अंधश्रद्धा के बूते ही बाबा अपने आपको भगवान से भी बड़ा बना लेते हैं.  धर्म कोई भी हो, इंसान को भगवान की तरह पूजन के लिए नहीं कहता. जैन संत जयंत मुनि भी राम रहीम मामले को धर्म को लेकर नकारात्मक छवि बनाने का दोषी मानते हैं, उन्हें भी ये फिक्र है कि लगातार तथाकथित बाबाओं के आचरण से आस्था को आघात पहुंच रहा है. जैन मुनि कहते हैं कि लोगों को भी समझना चाहिए कि वो अंधभक्ति न करें, किसी भी साधू, किसी भी संत को उसके आचरण से पहचानें न कि उसके तामझाम और सत्ता बल से.

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यूं तो गुरमीत राम रहीम से पहले भी कई ढोंगी बाबा जेल गए हैं और कई अभी भी कई धर्म का चोला ओढ़कर अधर्म का आचरण कर रहे हैं. अब असली और नकली बाबा की पहचान करना इसलिए भी मुश्किल है, क्योंकि नज़रों पर आस्था का चश्मा चढ़ा हो, तो मानने वालों को तो हर बाबा भगवान ही नज़र आता है, ऐसे में ढोंगी बाबाओं से भक्तों को भगवान ही बचाए.

 

 

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