Advertisement

मस्ती की पाठशाला, जहां बच्चे नहीं बंदरों का होता है डेस्क पर कब्जा

क्या आपने किसी ऐसे स्कूल की कल्पना की है जिसमें बच्चे तो क्लासरूम से बाहर हों और अंदर सब डेस्कों पर बंदरों ने कब्जा जमाया हो. जी हां, ये नजारा देश के किसी दूरदराज के इलाके में नहीं बल्कि राजधानी दिल्ली में ही देखा जा सकता है. पढ़ें आज तक की स्पेशल रिपोर्ट...

स्कूल में बंदर स्कूल में बंदर
अमरदीप कुमार/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 6:47 PM IST

क्या आपने किसी ऐसे स्कूल की कल्पना की है जिसमें बच्चे तो क्लासरूम से बाहर हों और अंदर सब डेस्कों पर बंदरों ने कब्जा जमाया हो. जी हां, ये नजारा देश के किसी दूरदराज के इलाके में नहीं बल्कि राजधानी दिल्ली में ही देखा जा सकता है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार शिक्षा के क्षेत्र में करोड़ों के बजट के दावे करे लेकिन भाटी माईंस इलाके की संजय कॉलोनी का सीनियर सेकेंड्री स्कूल कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है.

Advertisement

फिलहाल इस स्कूल के छात्र तो परीक्षाओं की वजह से यहां नहीं दिख रहे. 'आज तक' जब इस स्कूल में पहुंचा तो वहां की हालत देखकर यही लगा कि स्कूल को मानो बंदरों ने अपना ही स्कूल बना लिया हो. अब बंदर हैं तो उत्पात क्यों ना हो. यहां एक-दो बंदर क्लास में पढ़ाकू छात्र की तरह अपनी सीट पर जमे दिखे. बाकी तो सभी कोई शेल्टर की पाइप पर तो कोई खिड़की पर चढ़ कर ऊधम काटते हुए. सभी मस्ती की पाठशाला के मूड में. स्कूल के पंखों को लटक-लटक कर ऐसे मोड़ दिया गया है कि चल ही ना सकें. कोई ऐसा पंखा नहीं जिसके कंडेसर पर इन बंदरों ने हाथ साफ ना किया हो. ट्यूब लाइट भी इनकी खुराफात की वजह से सलामत नहीं बची हैं.

इन बंदरों को टॉयलेट जाने के लिए किसी से पूछने की भी जरूरत नहीं. जहां चाहा वहीं जमीन को गंदा कर दिया. जो बंदर छोटे हैं वो भी अपने बड़ों से ट्रेनिंग लेते दिखे. स्कूल में जब सही में बच्चों की पढ़ाई चल रही होती है तो भी बंदरो के उत्पात में कोई कमी नहीं आती. ऐसा भी देखने में आता है कि क्लास के अंदर बंदर होते हैं और छात्र बाहर परेशान घूमते दिखते हैं. बंदर बच्चों के बैग छीनकर भाग जाते हैं. किताब-कॉपी फाड़ देते हैं. स्कूल के आसपास रहने वाले लोगों का भी इन बंदरों ने नाक में दम कर रखा है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement