
निर्भया कांड के चार गुनहगारों मुकेश, पवन, अक्षय और विनय को फांसी कब होगी इस बात का इंतजार पूरा देश कर रहा है. अदालत ने इस मामले को लेकर चारों गुनाहगारों के साथ-साथ तिहाड़ जेल के डीजी को भी तलब किया है. मुद्दा एक ही है फांसी में देरी क्यों और फांसी कब? अभी फांसी को लेकर फैसला अदालत को करना है लेकिन इसी बीच तिहाड़ जेल के सुप्रींटेंडट ने यूपी के डीजी जेल को पत्र लिख कर दो जल्लाद का इंतज़ाम करने और उसे फौरी नोटिस पर तिहाड़ भेजने की गुजारिश की है. पत्र में जिन दो जल्लाद का नाम है उनमें से एक पवन जल्लाद.
21 नवंबर 2012, यड़वदा जेल, पुणे
आज़ाद हिंदुस्तान में पहली बार हुआ था जब बगैर किसी पेशेवर जल्लाद के किसी को फांसी दी गई थी. मुंबई हमले के गुनहगार अजमल कसाब को फांसी पुणे की यड़वदा जेल में फांसी देने के लिए फांसी के तख्ते का लिवर जेल के एक कर्मचारी ने ही खींचा था.
9 फ़रवरी 2013, तिहाड़ जेल, दिल्ली
तिहाड़ जेल के इतिहास में पहली बार था जब बगैर जल्लाद के किसी को फांसी दी गई. संसद हमले के गुनहगार अफज़ल गुरू को फांसी देने के लिए फांसी के तख्ते का लिवर तिहाड़ जेल के ही एक कर्मचारी ने खींचा था.
30 जुलाई 2015, सेंट्रल जेल, नागपुर
1993 के मुंबई सीरियल धमाकों के गुनहगार याकूब मेमन को नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी. नागपुर सेंट्रल जेल में भी पहली बार था, जब फांसी देने के लिए किसी पेशेवर जल्लाद की जरूरत नहीं पड़ी. बल्कि खुद जेल के एक कर्मचारी ने ही लिवर खींचा था.
बिना जल्लाद के दी गई तीन फांसी
देश में हुई ये तीन आखिरी फांसी की दास्तान ये बताती है कि अब फांसी देने के लिए जल्लाद की जरूरत नहीं है. ये काम जेल का कोई भी स्टाफ आसानी से कर सकता है. हालांकि बगैर जल्लाद की दी जाने वाली इन तीनों फांसी में एक बात समान थी. और वो ये कि फांसी पर चढ़ाए जाने वाले तीनों गुनहगार आतंकवादी मामलों में शामिल थे. तो क्या सिर्फ इसलिए इन तीनों की फांसी जेल स्टाफ ने ही दी? क्योंकि इन तीनों को फांसी से पहले हुई चौथी फांसी की कहानी अलग है.
14 अगस्त 2004, अलीपुर सेंट्रल जेल, कोलकाता
एक नाबालिग स्कूली छात्रा के साथ बलात्कार के मामले में धनंजय चटर्जी को जब अलीपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी. तब वो फांसी एक जल्लाद ने दी थी. उसका नाम था जल्लाद नाटा मलिक. पंद्रह साल पहले हुई ये फांसी किसी जल्लाद के हाथों दी जाने वाली आखिरी फांसी थी. उसके बाद से आज तक आखिरी तीन फांसी जो हुई उसमें किसी जल्लाद की मदद नहीं ली गई.
तिहाड़ जेल प्रशासन ने यूपी से मांगे जल्लाद
तो अब पंद्रह साल बाद जल्लाद की जरूरत क्यों आ पड़ी है? ये सवाल इसलिए उठा है क्योंकि यूपी से एक खबर आई है. ख़बर ये कि उत्तर प्रदेश के डीजी जेल को तिहाड़ के सुप्रींटेंडेंट ने एक खत लिखा है. 9 दिसंबर को लिखे इस खत में उत्तर प्रदेश से जल्लाद मांगा गया है. अब सवाल ये है कि तिहाड़ ने यूपी से ही क्यों जल्लाद मांगा? तो आपको बता दें कि इस वक्त देश में सिर्फ दो ही पेशेवर जल्लाद जिंदा बचे हैं. और ये दोनों ही यूपी से हैं और बाकायदा यूपी सरकार के लिए रिटेनरशिप पर काम करते हैं.
अब केवल यूपी में मौजूद हैं 2 जल्लाद
यूपी के जो दो जल्लाद इस वक्त यूपी सरकार की रिटेनरशिप पर हैं, उनमें से एक का नाम पवन कुमार है जबकि दूसरे का नाम इलियास उर्फ अली है. यूपी पुलिस के सूत्रों के मुताबिक तिहाड़ से जो पत्र आया है उसमें बाकायदा इन्हीं दो जल्लादों के नाम लिखे हैं. इन दोनों के अलावा फिलहाल देश में कोई भी पेशेवर जल्लाद नहीं है. इससे पहले देश में जितनी भी फांसी हुई वो पवन के दादा कालू जल्लाद, पिता मामू जल्लाद, पंजाब के फकीरा जल्लाद या फिर कोलकाता के नाटा जल्लाद ने दी. पर इनमें से अब कोई भी जिंदा नहीं है.
पहली बार अकेले फांसी देगा पवन जल्लाद
मेरठ के पवन जल्लाद की अगर बात करें तो पवन ने अकेले आज तक कोई फांसी नहीं दी है. उसने इससे पहले या तो अपने दादा कालू जल्लाद या फिर पिता मामू जल्लाद के साथ ही किसी को फांसी पर लटकाया है. अगर निर्भया के गुनहगारों को फांसी देने के लिए पवन को बुलाया जाता है तो ये पहली बार होगा जब वो अकेले फांसी देगा. पवन इसके लिए बाकायदा तैयार बैठा है. उसका कहना है कि निर्भया के गुनाहगारों को फांसी देने में उसे खुशी होगी.
चार लोगों को फांसी देने के लिए 2 जल्लाद
हालांकि तिहाड़ जेल के सुप्रींटेंडेट की चिठ्ठी के हिसाब से उन्होंने दो जल्लाद यूपी से मांगे हैं. इसकी वजह ये है कि तिहाड़ में पहली बार ऐसा होगा, जब एक साथ चार लोगों को फांसी दी जाएगी. ऐसे में फंदा कसने और लिवर खींचने के लिए दो लोगों की ही जरूरत पड़ेगी. पर क्या पवन और इलियास ऐसा कर पाएंगे?
चार फांसी का पहला तजुर्बा
पवन जल्लाद को फांसी देने के लिए तिहाड़ जेल के सुप्रींटेंडट ने बुलाया है. पवन जल्लाद का कहना है कि उसे निर्भया के गुनहगारों को फांसी देने में बेहद खुशी होगी. हालांकि पवन जल्लाद ने अपनी जिदगी में एक साथ दो फांसी तो देखी हैं. अगर उसे ये मौका मिलता है तो चार लोगों को एक साथ फांसी का उसका यह पहला तजुर्बा होगा.
पवन जल्लाद की मानें तो फांसी देने के लिए उसे सिर्फ दो दिन की तैयारी की जरूरत होती है. जिसमें खास तौर पर रस्सी और फांसी के तख्ते की जांच सबसे जरूरी होती है.