
तितलियों के शौकीनों के लिए एक अच्छी खबर है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चिड़ियाघर में तितलियों के लिए एक अलग पार्क बनाने की तैयारी चल रही है. इस परियोजना के सफल होते ही लोग यहां रंग-बिरंगी तितलियों को निहार सकेंगे. बच्चों की खास पसंद तितलियों के आने से चिड़ियाघर की रौनक कई गुना बढ़ने की उम्मीद की जा रही है.
जंगल जैसा लुक देने की तैयारी है
दिल्ली के चिड़ियाघर के नाम से मशहूर यहां का राष्ट्रीय जैविक उद्यान फिलहाल 1,300 से अधिक पशुओं और पक्षियों का आशियाना है. यहां न केवल
तितलियों के लिए अलग पार्क की योजना पर काम हो रहा है, बल्कि अधिक आकर्षक पेड़ लगाने और इसे जंगल जैसा लुक देने पर भी विचार किया जा रहा
है.
उद्यान के एक अधिकारी ने बताया कि पूरे क्षेत्र को जंगल जैसा बनाने के लिए एक मास्टर प्लान बनाया जा रहा है.
उद्यान के शैक्षणिक निरीक्षक (एजुकेशन क्यूरेटर) रियाज अहमद खान ने बताया, 'इस स्थान को एक अलग रूप देने के लिए (दिल्ली चिड़ियाघर) बोर्ड एक
मास्टर प्लान पर चर्चा कर रहा है. हमारे पास यहां 2,000 से अधिक जानवरों और 200 से अधिक प्रजातियों को रखने का प्रावधान है. इस वक्त यहां 106
प्रजातियों के जानवर रह रहे हैं. हमारे पास अक्वेरियम (मछलीघर) बनाने का भी प्रावधान है.'
बच्चों को लुभाने का प्रयास
तितलियों के पार्क के लिए इस साल के आखिर तक कुछ पिंजड़ों को यहां लाए जाने की योजना है. उन्होंने कहा, 'हम बटरफ्लाई पार्क बनाने की योजना बना
रहे हैं. यह बच्चों के लिए आकर्षण का एक मुख्य कारण होगा. लेकिन इसके लिए स्थान की समीक्षा आगामी कुछ समय में की जाएगी.'
पिछले कुछ वर्षों में उद्यान में कई मौलिक बदलाव किए गए हैं, जिसमें आगंतुकों के लिए वॉटर कूलर लगाने और रास्तों तथा सड़कों का निर्माण भी शामिल
है.
खान ने कहा, 'हम उद्यान में कुछ आकर्षक तथा फलों के पेड़ लगाने और इसे जंगल जैसा लुक देने की योजना भी बना रहे हैं.'
हालांकि यहां जानवरों की देखभाल करने वालों की शिकायत है कि मास्टर प्लान लागू किए जाने से पहले चिड़ियाघर की कुछ मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति
की जानी चाहिए.
नहीं हैं जिराफ और जेब्रा
ऐसे ही एक निगरानी करने वाले ने कहा, 'यहां चिड़ियाघर में एक भी जिराफ नहीं है. दो साल पहले हमारे पास तीन जिराफ थे, लेकिन सभी की मौत हो गई.
उसके बाद और जिराफ लाने के प्रयास नहीं हुए. हमारे पास जेब्रा भी नहीं है.'
उन्होंने कहा कि यहां एकमात्र मादा गैंडा और एकमात्र मादा चिम्पैंजी है. दोनों के नर सहचर नहीं हैं.
और कर्मचारियों की जरूरत
चिड़ियाघर के एक अन्य कर्मचारी ने कहा, 'यहां केवल 50 प्रतिशत स्थायी कर्मचारी हैं. शेष संविदा कर्मचारी हैं. चिड़ियाघर में स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति
लंबे अरसे से बंद है. हमें उद्यान की निगरानी में काफी दिक्कतें आ रही हैं, क्योंकि हर अहाते के लिए हमें कम से कम दो निगरानी करने वालों की
आवश्यकता होती है.'