
दिल्ली में भड़की हिंसा के बाद बीजेपी नेता कपिल मिश्रा विपक्ष के निशाने पर हैं. आम आदमी पार्टी उनके खिलाफ शिकायत लेकर उपराज्यपाल के पास पहुंची तो एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी हिंसा में गई जानों के लिए मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया है. खुद बीजेपी के सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने अपने बयान में कपिल मिश्रा का नाम लेकर कहा कि जो भी हिंसा भड़काने का जिम्मेदार हो, उसपर एक्शन होना चाहिए. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली हिंसा पर कहा कि दिल्ली पुलिस की गैर-जरूरी और अनुचित आलोचना करने से बचना चाहिए.
पहले आक्रामक, अब बैकफुट पर मिश्रा
कपिल मिश्रा खुद भी अब बैकफुट पर हैं और ट्वीट के जरिए शांति की अपील कर रहे हैं. माना जा रहा है कि कपिल मिश्रा ने भले ही सड़क जाम से नाराज लोगों के गुस्से को स्वर दिया हो लेकिन उनके सड़क पर उतरने की टाइमिंग मोदी सरकार के लिए ही असहज स्थिति पैदा कर गई.
दिल्ली में पुलिस सीधे गृहमंत्रालय के अधीन है. पुलिस के सामने ये कहना कि वो सड़क खुलवाने में नाकाम है और तीन दिन में रास्ते नहीं खुले तो वो पुलिस की भी नहीं सुनेंगे एक तरह से अमित शाह के नेतृत्व को ही खुला चैलेंज है. मिश्रा की मंशा स्वाभाविक रूप से ऐसी नहीं रही होगी लेकिन अनजाने में उन्होंने ऐसा कर तो दिया ही.
दिल्ली में इस समय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मेहमान हैं. पूरा विदेशी मीडिया राजधानी में डेरा डाले हुए है. दुनिया भर की निगाहें दिल्ली पर हैं और दिल्ली का एक इलाका हिंसा में झुलस रहा है. स्वाभाविक रूप से ये मोदी सरकार के लिए बेहद किरकिरी वाली बात है. उससे भी अहम ये कि इस हिंसा को भड़काने वालों की फेहरिश्त में सबसे पहला नाम उन्हीं की पार्टी के नेता कपिल मिश्रा का लिया जा रहा है.
सवालों के घेरे में कपिल मिश्रा
कपिल मिश्रा के घिरने से दिल्ली बीजेपी भी बैकफुट पर आ गई है. अब तक वो शाहीन बाग के प्रदर्शन और जामिया हिंसा के लिए आम आदमी पार्टी के नेता और विधायक अमानतुल्लाह खान को जिम्मेदार बताती रही है. विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अमानतुल्लाह के बहाने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमकर निशाना बनाया था लेकिन उत्तर पूर्वी इलाके में हुई हिंसा में तो अब उसी के विधानसभा चुनाव उम्मीदवार कपिल मिश्रा सवालों के घेरे में हैं.
दरअसल दिल्ली के जाफराबाद में मेट्रो स्टेशन के नीचे 22 और 23 फरवरी की आधी रात में सीएए के खिलाफ महिलाएं धरने पर बैठ गईं और सड़क जाम कर दी. इसके चलते मौजपुर और यमुना विहार जाने वाला रास्ता बंद हो गया. इसके बाद कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर कहा कि 'जाफराबाद के जवाब में' सड़क पर उतरना जरूरी हो गया है.
रविवार दोपहर बाद कपिल मिश्रा अपने समर्थकों के साथ मौजपुर चौक की रेड लाइट पर पहुंचे और CAA के समर्थन में धरने पर बैठ गए. मौके पर पुलिस बल पहुंचा तो कपिल मिश्रा ने दिल्ली पुलिस को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया.
कुछ समय बाद ही भड़क गई हिंसा
कपिल मिश्रा ने कहा, 'ये यही चाहते हैं कि दिल्ली में आग लगी रहे. इसीलिए इन्होंने रास्ते बंद किए और इसीलिए ये दंगे जैसा माहौल बना रहे हैं. हमारी तरफ से एक भी पत्थर नहीं चला है. डीसीपी साहब, आप सबके सामने खड़े हैं. मैं आप सबकी ओर से ये बात कह रहा हूं कि ट्रंप के जाने तक तो हम शांति से जा रहे हैं. लेकिन उसके बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे अगर रास्ते खाली नहीं हुए तो. ठीक है?
कपिल मिश्रा ने कहा था, 'ट्रंप के जाने तक आप (डीसीपी) जाफराबाद और चांद बाग खाली करा लीजिए, ऐसी आपसे विनती कर रहे हैं, उसके बाद हमें रोड पर आना पड़ेगा. भारत माता की जय. वंदे मातरम्. इसी के बाद दिल्ली में जाफराबाद समेत कई जगह हिंसा भड़क गई.