
नए साल के आगाज के साथ देश की राजधानी दिल्ली में एक नया प्रयोग शुरू हुआ. यह प्रयोग बढ़ते वायु प्रदूषण से लड़ने का है. केजरीवाल सरकार की ऑड-इवन योजना के तहत सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक सड़कों पर केवल ऑड नंबर वाली गाड़ियां ही चलीं. सोमवार को अब इवन नंबर वाली गाड़ियों का नंबर हैं.
देश के इतिहास में प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के अभूतपूर्व उपाय के तौर पर दिल्ली में सम-विषम वाहन योजना की शुरुआत हुई जिससे सड़कों पर कारों की संख्या में काफी कमी देखी गई. इस बीच, दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने दावा किया कि इस अनोखी पहल को बड़े पैमाने पर स्वीकार्यता मिली है.
सुबह आठ बजते ही निजी कारों को चलाने पर लगाई गई बंदिश प्रभावी हो गई. हजारों की तादाद में यातायात पुलिसकर्मी और सरकारी कर्मियों ने स्वयंसेवकों की सहायता से पूरे शहर में योजना को लागू कराया. यह योजना 15 जनवरी तक लागू रहेगी.
पहले दिन एयर क्वालिटी में उतार-चढ़ाव
दिल्ली की हवा में प्रदूषकों में सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे के बीच पिछले दो दिनों की तुलना में तकरीबन 10 फीसदी तक की गिरावट आई. ऐसा संभवत: सम-विषम पाबंदियों की वजह से हुआ. उसके बाद दिन के तापमान में गिरावट के साथ उसमें तेजी से वृद्धि हुई. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) की शुरुआती टिप्पणी के अनुसार वाहनों से कम उत्सर्जन का लाभ और अधिक हो सकता था अगर वाहनों की कम आवाजाही होती और 31 दिसंबर की रात को आतिशबाजी नहीं की जाती.
सफर के परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा कि यद्यपि निलंबित पदार्थ कण का औसत मान पीएम 2.5 से बढ़कर तकरीबन 198 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हो गया, जो कल से अधिक है लेकिन इसमें गिरावट सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक देखा जा सकता है. गौरतलब है कि सम-विषम परियोजना आज सुबह आठ बजे राष्ट्रीय राजधानी में शुरू हुई.
असर दिखने में वक्त लगेगा
हालांकि, दिल्ली में शुक्रवार को ऑड-ईवन फॉर्म्युले के तहत आधी से ज्यादा गाड़ियां सड़क से बाहर रहने के बावजूद दिल्ली में हवा की क्वालिटी में ज्यादा सुधार देखने को नहीं मिला. शुक्रवार दोपहर प्रदूषण मीटर पर हवा की क्वालिटी स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक स्तर पर रही. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑड-ईवन फॉर्म्युले से हवा में प्रदूषण की मात्रा घटेगी जरूर, लेकिन इसका असर दिखने में अभी वक्त लगेगा.
दिल्ली स्थित सोशल ऐक्शन फॉर फॉरेस्ट ऐंड इन्वाइरनमेंट (एसएएफई) के पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोंगड़ ने दिल्ली की हवा का विश्लेषण किया, जिसमें अमेरिकी दूतावास के पास की हवा का स्तर 269 पाया गया जो कि स्वास्थ्य के लिहाज से काफी खतरनाक है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘लोगों की प्रतिक्रिया देखकर मैं काफी उत्साहित हूं. लोगों ने असंभव को हासिल कर दिखाया है. मुझे यकीन है कि दिल्ली रास्ता दिखाएगी.’ उन्होंने कहा कि इस पहल ने ‘आंदोलन का रूप’ ले लिया है.
एक ट्वीट में उन्होंने मशहूर गायक जॉन लेनन के एक गाने के शब्दों का जिक्र करते हुए कहा, ‘यू मे से आई एम अ ड्रीमर बट आई एम नॉट दि ओनली वन. आई होप सम डे यू विल ज्वॉइन अस.’
करीब 25 श्रेणियों को इस योजना का पालन करने से छूट दी गई है जिसमें आपातकालीन सेवा वाहन, टैक्सियां भी शामिल हैं. दो पहिए वाली गाड़ियों और सीएनजी से चलने वाले वाहनों को भी छूट दी गई है.
ये है योजना
इस योजना के तहत, जिन गाड़ियों का पंजीकरण नंबर सम संख्या में है वे सम संख्या वाली तारीखों को चलाई जा सकेंगी जबकि विषम संख्या वाले पंजीकरण नंबरों वाली गाड़ियां सिर्फ विषम संख्या वाली तारीखों को ही चलाई जा सकेंगी. सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक इस नियम का पालन करना होगा. योजना का उल्लंघन करने वालों पर 2,000 रूपए का जुर्माना लगेगा.
ट्रैफिक जाम से मिली मुक्ति
एक यात्री वनजा एस. ने कहा, 'मैंने काम के लिए द्वारका जाने के लिए अपने दो सहयोगियों के साथ ऑटो साझा किया. मैं यह देख कर हैरान था कि दिल्ली की सड़कें यातायात मुक्त थीं.' उन्होंने कहा, 'कई लोग वाहन साझा कर कार्यालय आने के लिए उत्साहित हैं, भले ही ऐसा सिर्फ 15 दिनों तक ही क्यों न हो.'
सरकारी कार्यालयों में भी इसी तरह की प्रतिक्रिया थी और कई कर्मचारी अपने कार्यस्थलों तक पहुंचने के लिए सहकर्मियों के साथ वाहन साझा करने के लिए उत्साहित थे. काम के लिए कनॉट प्लेस जा रहे एक अन्य कर्मचारी जानकी राम ने कहा, 'सहकर्मियों के साथ बातचीत के साथ यात्रा मजेदार और पिकनिक जैसी रही.'
अजय माकन का दावा, बढ़ गया प्रदूषण
कांग्रेस के नेता अजय माकन ने प्रदूषण मापने वाली तस्वीरें शेयर की और दावा किया कि 1 जनवरी को राजधानी में प्रदूषण का स्तर और बढ़ गया.
दिल्ली पुलिस को धन्यवाद दिया
दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस और नागरिक सुरक्षा के स्वयंसेवकों को सम-विषय योजना के प्रथम दिन अच्छा काम करने के लिए धन्यवाद दिया. राय ने कहा कि यद्यपि सम पंजीकरण संख्या वाली कारें कम ही दिखाई दीं. और राजधानी में इस योजना का उल्लंघन करने वाले कुछ ही लोगों पर जुर्माना लगाया गया. ट्रैफिक पुलिस ने बताया कि पहले दिन 150 लोगों के चालान काटे गए.
असली परीक्षण सोमवार को
दिल्ली सरकार की सम विषम कार योजना की शुरआत आज अच्छे तरीके से हुई है, लेकिन वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम का कहना है कि इस योजना का असली परीक्षण सोमवार को होगा. सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने कहा, ‘यह योजना आज बेहतर तरीके से शुरू हुई. इसका असली प्रभाव सोमवार को पता चलेगा. वायु की गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण है.’ सियाम ने कहा कि सोमवार को वर्किंग डे होने की वजह से इस योजना के असर के बारे में पूरा पता उसी दिन चलेगा.
दिल्ली की हवा सुधरने में लगेगा वक्त: विशेषज्ञ
राजधानी दिल्ली में सम-विषम फार्मूला लागू होने के बाद भी शुक्रवार की दोपहर में प्रदूषण मीटर पर हवा की क्वालिटी स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक स्तर पर रही. विशेषज्ञों का कहना है कि सम-विषम फार्मूले से हवा में प्रदूषण की मात्रा घटेगी जरूर, लेकिन इसका असर दिखने में अभी वक्त लगेगा. दिल्ली स्थित सोशल एक्शन फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरोनमेंट (एसएएफई) के पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोंगड़ ने दिल्ली की हवा का विश्लेषण किया, जिसमें अमेरिकी दूतावास के पास की हवा का स्तर 269 पाया गया जोकि स्वास्थ्य के लिहाज से काफी खतरनाक है.
तोंगड़ ने बताया, 'सम-विषम फार्मूले के लागू होने के कारण सड़क पर कारों की तादात घटने के बावजूद प्रदूषण के स्तर में कोई कमी नहीं देखी गई है, क्योंकि ठंड के कारण हानिकारक गैसें धरती से ऊपर उठ नहीं पा रही हैं. वे जैसे हवा में फंस कर रह गई हैं. हालांकि उनका मानना है कि इस स्कीम के लागू होने से हवा में प्रदूषण की मात्रा पर काफी कम असर होगा.'
तोगड़ कहते हैं, 'सरकार ने महिला चालकों, दोपहिया वाहनों, व्यावसायिक टैक्सियों आदि को सम-विषम फार्मूले से छूट दी है, जिनकी संख्या भी काफी अधिक है. ऐसे में महज 5-6 फीसद वाहन ही इस फार्मूले के तहत सड़कों पर से हटेंगी.'
उन्होंने कहा कि जब तक पुरानी ट्रकों, डीजल चालित वाहनों, प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों और चारो तरफ चल रहे निर्माण गतिविधियों पर कड़ाई से रोक नहीं लगती है, तब तक प्रदूषण के स्तर में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आएगी.