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नोटबंदी को भाजपा सरकार जहां सफल बता रही है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि इससे गरीब और अमीर का फासला बढ़ा है. ऐसे में कैसे इसे पास बता सकते हैं. नोटबंदी का किसानों पर हुए असर को समझने के लिए आजतक कॉन्क्लेव नोटबंदी पास या फेल के अहम सत्र में केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन इंडिया टुडे के मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवल ने किया.
नोटबंदी एक बड़ा फैसला
महेश शर्मा ने कहा कि 2014 में आम जनता पॉलिसी पैरालिसिस के दौर से गुजर रही थी लेकिन भाजपा की सरकार बनने के बाद लोगों को परिवर्तन का इंतजार था. भाजपा सरकार से पहले लोगों को सरकारी तंत्र से विश्वास उठ चुका था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र पर लोगों को भरोसा था और उम्मीद थी कि नई सरकार बड़े फैसले लेगी. मोदी सरकार ने इसी उद्देश्य से देश में परिवर्तन की शुरुआत करते हुए नोटबंदी जैसा बड़ा फैसला लिया जिससे लोगों का भविष्य उज्जवल होगा.
गरीबों को हुआ है नुकसान : हुड्डा
कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आरबीआई के मुताबिक 99 फीसदी कैश व्यवस्था में वापस आ चुका है. जहां तक आतंकवाद की बाद है इस साल कश्मीर ने 10 साल में सबसे अधिक वारदातें देखने को मिली. वहीं नोटबंदी से सरकार ने वादा किया था कि अमीर को नुकसान होगा और गरीबों को फायदा पहुंचेगा लेकिन वास्तव में इससे उल्टा देखने को मिला. हुड्डा के मुताबिक बीते 3 साल में देश में अमीरों की संपत्ति बढ़ने की रफ्तार सर्वाधिक रही.
कई शेल कंपनियां आईं सामने
राहुल कंवल ने पूछा कि आखिर क्यों अमीर और गरीब में फासला बढ़ा है? महेश शर्मा ने कहा कि नोटबंदी के बाद 3 लाख शेल कंपनियां सामने आई हैं. इन कंपनियों की जांच का समय है. महेश शर्मा के मुताबिक कालाधन देश में गरीबों और किसानों के पास नहीं था. जिन नेताओं, अधिकारियों और कारोबारियों ने कालेधन को बैंक में जमा कर दिया अब वह बच नहीं पाएंगे.
कब उजागर होंगे शेल कंपनियों से जुड़े तथ्य
हुड्डा ने पूछा कि इन शेल कंपनियों से जुड़े हुए तथ्य कब तक उजागर होंगे और कब तक यह पैसा आम आदमी के बैंक खातों में जमा किया जाएगा? वहीं राहुल कंवल ने कहा कि नोटबंदी के बाद छोटे कारोबारियों के कारोबारी आंकड़े लगभग 50 फीसदी गिरे हुए हैं जिससे साफ है कि इस पूरी प्रक्रिया का बुरा असर इन कारोबारों पर पड़ा है. महेश शर्मा ने बताया कि रिजर्व बैंक के मुताबिक 1000 रुपये की ऐसी करेंसी बैंक में जमा हुई जो कभी सर्कुलेशन में नहीं थे और बस एक तिजोरी से दूसरी तिजोरी में पहुंच जाते थे. अब ऐसी करेंसी बैंक में जमा है.
नोटबंदी से किसानों को हुई दिक्कत
हुड्डा ने दावा किया कि केंद्र सरकार का यह बयान कि नोटबंदी से किसानों को कोई तकलीफ नहीं हुई यह पूरी तरह से गलत है. लेकिन हुड्डा ने दावा किया कि नोटबंदी के बाद जहां आलू 9 पैसे किलो और प्याज 25 पैसे किलो बेचने पर किसान मजबूर था वहीं आज इनकी कीमतों को देखें तो साफ पता चलता है कि नोटबंदी के बाद किसानों का कितना नुकसान हुआ.