
केन्द्र सरकार के नोटबंदी फैसले के असर से शायद ही अर्थव्यवस्था का कोई सेक्टर अछूता हो. इस फैसले का बड़ा प्रभाव देश में सेकेंड हैंड कार मार्केट पर भी देखने को मिल रहा है. हालांकि नई कारों की बिक्री भी नोटबंदी के चपेट में है लेकिन पुरानी कारों का मार्केट तो जैसे ठप पड़ चुका है. वजह जाहिर है. इस मार्केट में कैश का बोल बाला था. आज पुरानी कार की मार्केट में न तो कार खरीदने वाले के पास कैश है और न ही बाजार में बैठे डीलर और सेलर के पास कैश है.
देश में 10 नई कार बिकती है तो उसपर 22 सेकेंड हैंड कार बाजार में बिकती है. ये है देश में सेकेंड हैंड कार मार्केट की ताकत. मार्केट रीसर्च कंपनी क्राइसिल का मानना है कि सेकेंड हैंड कार की मार्केट में यह तेजी देश में मिडिल क्लास की उम्मीद पर टिका है. ऑनलाइन खरीद-फरोख्त ने इसे भागने में मदद की है.
लिहाजा सेकेंड हैंड कार की एक बड़ी मार्केट इंटरनेट पर मौजूद है. कारदेखो डॉट कॉम का कहना है कि 9 नवंबर के बाद से उसकी वेबसाइट ठंडी पड़ चुकी है. वेबसाइट पर आकर कार खरीदने वालों की संख्या नोटबंदी के बाद से लगभग 27 फीसदी लुढ़क गई है. वहीं दूसरे महत्वपूर्ण ऑनलाइन सेकेंड हैंड कार सेलर कारवाले डॉटकॉम को अपने आंकड़े लगभग 30 फीसदी लुढ़के हुए दिखाई दे रहे हैं.
आनलाइल मार्केट से बुरा हाल सेंकेड हैंड कार के डीलरों का है. नई दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी स्थिल पुरानी बारादरी शहर की सबसे बड़ी सेकेंड हैंड कार मार्केट है. यहां एक सामान्य कार विक्रेता 10 दिनों में लगभग 100 कार बेचता था. लेकिन नोटबंदी के बाद से उसका कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ा है. बीते 17 दिनों से जारी नोटबंदी के दौरान एक बड़े डीलर का कहना है कि उसने सिर्फ वही कार बेचने में सफलता पाई है जिसके फाइनेंस की प्रक्रिया नोटबंदी लागू होने से पहले की जा चुकी थी. वहीं कैश के जरिए होने वाली खरीद-फरोख्त पूरी तरह से रुक गई है.
दिल्ली में ही राजपुरा रोड के बड़े सेकेंड हैंड कार डीलर इसे कार मार्केट की सबसे बड़ी मंदी बता रहे हैं. कार डीलर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा है कि वह सेकेंड हैंड मार्केट में सिर्फ कैश के एवज में कार बेचता था. लेकिन नोटबंदी के बाद 17 दिनों के दौरान उसकी सेल में 90 फीसदी से अधिक गिरावट दर्ज हुई है. इसमें बिकी हुई कार में पांच फीसदी वो कार हैं जिसे ग्राहकों ने बैंक के माध्यम से खरीदने की तैयारी नोटबंदी से पहले पूरी कर ली थी.
शहर के जिन कार बाजारों में खरीदार की भीड़ लगी रहती थी आज नोटबंदी के असर से सन्नाटा पसरा है.