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नोटबंदी से बंद हुआ नए कालेधन को पैदा करने का रास्ता: बिबेक देबरॉय

बिबेक डेबरॉय ने कहा कि 8 नवंबर को घोषित नोटबंदी को एक नीतिगत फैसला कहते हुए कहा कि इसका सीधा मतलब था कि देश में नई ब्लैकमनी को जेनरेट करने का रास्ता बंद हो चुका है. वहीं दूसरा बड़ा फायदा था कि इससे पुरानी ब्लैकमनी बैंकों में पहुंच गई जिससे एक बार पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था ब्लैकमनी से मुक्त हो गई.

नई ब्लैकमनी को जेनरेट करने का रास्ता बंद नई ब्लैकमनी को जेनरेट करने का रास्ता बंद
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST

नोटबंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ा यह जानने के लिए आजतक ने नोटबंदी की वर्षगांठ से पहले नोटबंदी पर कॉन्क्लेव आयोजित किया. कॉन्क्लेव के इस अहम सत्र में नीति आयोग के सदस्य और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन बिबेक डेबरॉय ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन इंडिया टुडे के मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवल ने किया.

बिबेक डेबरॉय ने कहा कि 8 नवंबर को घोषित नोटबंदी को एक नीतिगत फैसला कहते हुए कहा कि इसका सीधा मतलब था कि देश में नई ब्लैकमनी को जेनरेट करने का रास्ता बंद हो चुका है. वहीं दूसरा बड़ा फायदा था कि इससे पुरानी ब्लैकमनी बैंकों में पहुंच गई जिससे एक बार पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था ब्लैकमनी से मुक्त हो गई.

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हालांकि बिबेक ने कहा कि कालाधन का निर्माण करना एक सतत प्रक्रिया है. लेकिन ब्लैकमनी खत्म होने का साफ संकेत मिलता है क्योंकि नोटबंदी के बाद रिएल एस्टेट सेक्टर पूरी तरह से ठप्प पड़ गया. हालांकि बिबेक ने कहा कि रिएल एस्टेट में ब्लैक और व्हाइट कंपोनेंट के कोई साक्ष्य नहीं है.

इसे भी पढ़ें: कांग्रेस का वार- नोटबंदी में छोटी मछलियां फंसी, मगरमच्छ निकलने में हुए कामयाब

राहुल कंवल ने पूछा कि आखिर क्यों जीडीपी में गिरावट देखने को मिल रही है? बिबेक ने कहा कि जीडीपी में गिरावट नोटबंदी के कारण नहीं है. बिबेक के मुताबिक फिलहाल जीडीपी में गिरावट और बेरोजगारी के आंकड़े नहीं हैं लिजाहा यह जानने के लिए अभी इंतजार करने की जरूरत है कि जीडीपी में क्यों गिरावट देखने को मिल रही है.

क्या जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स चोरी की घटनाएं कम हुई हैं या फिर और बढ़ गई है? बिबेक के मुताबिक जीएसटी काउंसिल ने लगभग घोषणा कर चुकी है कि वह जीएसटी के अंतरगत टैक्स ढ़ांचे को सुधारने की कवायद कर रही है.

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बिबेक के मुताबिक भारत मे कैश-जीडीपी रेशियो अधिक था. इस कैश से अर्थव्यवस्था को फायदा नहीं पहुंच रहा था. लेकिन नोटबंदी के बाद एक बार फिर कैश-जीडीपी रेशियो 9 फीसदी से कम हो गया है और यह आर्थिक विकास के लिए अच्छी बात है.

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