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नोटबंदी से आम जनता को हुए 3 फायदे, मगर झेलने पड़े ये 3 नुकसान भी

नोटबंदी के करीब 10 महीने बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने इससे जुड़ी रिपोर्ट जारी की है. 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद किए जाने से न सिर्फ अर्थव्‍यवस्‍था पर असर पड़ा है बल्कि आम आदमी को भी इसकी वजह से कई फायदे और नुकसान हुए हैं.

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केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

नोटबंदी के करीब 10 महीने बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने इससे जुड़ी रिपोर्ट जारी की है. 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद किए जाने से न सिर्फ अर्थव्‍यवस्‍था पर असर पड़ा है बल्कि आम आदमी को भी इसकी वजह से कई फायदे और नुकसान हुए हैं. 8 नवंबर, 2016 को शुरू हुई नोटबंदी के चलते इकोनॉमी में काफी बदलाव आए हैं. एक तरफ जहां कैशलेस ट्रांजैक्‍शन बढ़ा है. वहीं, बैंकों ने बचत खाते की ब्‍याज दरों में कटौती भी करनी शुरू कर दी है. रेटिंग एजेंसी CRISIL के चीफ इकोनॉमिस्‍ट डी.के. जोशी के मुताबिक नोटबंदी के चलते आम आदमी को जो भी नफा और नुकसान हुए हैं, वह सिर्फ शॉर्ट टर्म के लिए हैं.

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नोटबंदी से हुए ये 3 फायदे

 1. होम लोन सस्ता हुआ

चीफ इकोनॉमिस्‍ट डी.के. जोशी के मुताबिक नोटबंदी ने होम लोन सस्‍ता करने में मदद की है. नोटबंदी की वजह से बैंकों में काफी बड़ी मात्रा में डिपोजिट आया है. इसका फायदा बैंकों ने आम आदमी को सस्‍ते कर्ज के तौर पर दिया है. ये इसी से साबित होता है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल हाउसिंग दरों में 3 फीसदी तक कमी आई है. पिछले साल ये दरें जहां 10.5 से लेकर 12 फीसदी तक थीं, अब ये 8 से 9 फीसदी तक आ गई हैं.

 2. महंगाई पर लगाम कसी

नोटबंदी ने महंगाई पर भी लगाम कसने में मदद की है. इकोनॉमिस्‍ट डी.के. जोशी बताते हैं कि अवैध पैसे को खपाने के लिए फिजूलखर्ची बड़े स्‍तर पर की जाती है. इसकी वजह से सामान की कीमतें बढ़ती हैं. नोटबंदी के चलते कुछ हद तक यह पैसा सिस्‍टम में वापस आया है. इसके साथ ही सरकार की तरफ से लगातार संदिग्‍ध ट्रांजैक्‍शन पर नजर रखी गई. इसकी वजह से इन ट्रांजैक्‍शन में काफी कमी आई. इसका फायदा महंगाई दर घटने के रूप में मिला. नवंबर, 2016 में महंगाई दर 3.63 फीसदी थी. वह जुलाई 2017 में घटकर 2.36 फीसदी पर आ गई.

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 3. कैशलेस ट्रांजैक्‍शन बढ़ा

नोटबंदी के चलते कैशलेश ट्रांजैक्‍शन बढ़ने में काफी मदद मिली है. नोटबंदी के दौरान कैश की किल्‍लत होने से न सिर्फ लोगों ने ज्‍यादा डिजिटल ट्रांजैक्‍शन किए, बल्कि सरकार की तरफ से भी इसके प्रोत्‍साहन के लिए काफी कदम उठाए गए. हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की एक रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर, 2016 में जहां कैशलेस ट्रांजैक्‍शन का आंकड़ा 67.2 करोड़ था, वह फरवरी, में 76.3 करोड़ पर पहुंच गया.

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नोटबंदी से हुए ये 3 नुकसान

 1. लेनदेन में दिक्‍कत

नोटबंदी को भले ही 9 महीने से ज्‍यादा हो चुके हैं, लेकिन इसका थोड़ा बहुत असर अभी भी है. आज भी बैंकों के कई एटीएम से सिर्फ 2000 और 500 रुपये के ही नोट निकल रहे हैं. इससे लोगों को आज भी छोटे-मोटे लेनदेन करने में व्‍यावहारिक दिक्‍कतें आ रही हैं. इसकी एक वजह एटीएम से 500 से छोटे नोट न निकलना भी है.

 2. बचत खाते पर ब्‍याज दर घटी

भारतीय स्‍टेट बैंक समेत कई सरकारी और निजी बैंकों ने सेविंग्‍स अकाउंट पर ब्‍याज दर घटा दी है. डी.के. जोशी के मुताबिक इसमें थोड़ी बहुत भागीदारी नोटबंदी ने निभाई है. उनके अनुसार नोटबंदी के चलते बैंकों में लिक्विडिटी बढ़ गई है. ऐसे में बैंकों ने ब्‍याज दर घटाना ही अपने लिए फायदेमंद समझा है. अच्‍छी बात यह है कि ये स्थिति कुछ समय के लिए ही रहेगी.

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 3. छोटे उद्योगों को उठाना पड़ा नुकसान

नोटबंदी का सबसे ज्‍यादा प्रभाव उन उद्योगों पर पड़ा है, जो ज्‍यादातर कैश में लेनदेन करते थे. इसमें अधिकतर छोटे उद्योग शामिल होते हैं. नोटबंदी के दौरान इन उद्योगों के लिए कैश की किल्‍लत हो गई. इसकी वजह से उनका कारोबार ठप पड़ गया. लोगों की नौकरियां गईं.

 

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