
दिल्ली कैंट के सदर बाजार के केबल का बिज़नस करने वाले राजीव गोयल का फ्यूज पखवाड़े भर से उड़ा हुआ है. 25 नवम्बर को बेटे हिमांशु की शादी है पर रुपयों का इंतज़ाम अब तक नहीं हो पाया है. नोटबन्दी के बाद गोयल जी की आँखों के आगे छाये अँधेरे में चमकी उम्मीद की किरण भी अफवाह निकली कि डीसीपी के दफ्तर से शादी के कार्ड पर लिखा लो और 2 लाख रूपये ले जाओ. डीसीपी दफ्तर और बैंक से निराशा ही हाथ लगी.
चंद दिनों बाद ही वित्त सचिव ने ऐलान कर दिया कि बेटे बेटी की शादी के लिए लोग शर्तें पूरी कर 2.5 लाख रूपये अपने बैंक खाते से निकाल सकते हैं. गोयल ने यूनियन बैंक में अपने खातों से रकम निकालने के लिए चक्कर लगाने शुरू किये. रुपये तो नहीं मिले पर टका सा जवाब ज़रूर मिलता- अभी सर्कुलर नहीं आया है.
आज तक की टीम जब दिल्ली कैंट के दफ्तर में पहुंची तभी रिज़र्व बैंक से रवाना सर्कुलर भी पहुंचा. सर्कुलर पर 22 नवम्बर की तारीख भी डली है. दिल्ली कैंट सदर बाजार में यूनियन बैंक के मैनेजर रणधीर सिंह ने बताया कि सर्कुलर के मुताबिक खातेदार ही रकम निकाल सकता है बशर्ते जमा हुई रकम 8 नवम्बर से पहले की हो. बेटा या बेटी की शादी का कार्ड, वर वधू की फोटो आईडी पैन कार्ड और विवाह स्थल की बुकिंग की रसीद वगैरह नत्थी होनी चाहिए.
अर्ज़ी फॉरवर्ड कर हेडक्वार्टर या क्षेत्रीय कार्यालय भेजी जायेगी. वहां से मंजूरी मिलने के बाद बैंक में रकम उपलब्ध होगी तब भुगतान की जायेगी. इस प्रक्रिया में किम् से कम तीन दिन तो लग ही जाते हैं. ज़ाहिर है इस प्रक्रिया के मुताबिक तो राजीव गोयल को रकम शादी तक तो मिलना मुश्किल लग रहा है.
21 नवम्बर को सगाई और टीके की रस्म पर जलसा तो हुआ लेकिन कैसे ये बस गोयल परिवार ही जानता है. चीज़ें तो सारी हुई गाना, बजाना, नाचना और खाना मौज मस्ती सब कुछ. रही बात दूल्हे हिमांशु की तो इसके सपने में दुल्हन नहीं आती बल्कि मुआ एटीएम ही मुंह चिढाता आता है.
अब तो रिश्तेदारों का ही भरोसा है जिनसे मदद या ब्याज पर रुपये लेकर शादी का काम निपटाया जा रहा है. हिमांशु की माँ की परेशानी भी बढ़ी हुई है. रिश्तेदार, नया समधियाने के अलावा बरात की तैयारी सब नोटबंदी की भेंट. नई बहू के स्वागत की तैयारी करें या नोटबन्दी से मुकाबले की.