
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) ने भारत सरकार को मार्केट में करेंसी संकट से निपटने के लिए दी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसे नई करेंसी की सप्लाई तेज करने के साथ-साथ ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में एक बार फिर से पुरानी करेंसी को मान्य करने की दिशा में सोचने की जरूरत है.
IMF ने क्या कहा?
आईएमएफ की तरफ से देश में जारी कैश के संकट के बारे में कहा गया है कि 8 नंवबर को लिए गए नोटबंदी के फैसले ने मार्केट से कैश ठीक उसी तरह खींच लिया है जैसे कोई वैक्युम क्लीनर से सफाई करता है. आईएमएफ के एशिया-पैसिफिक मिशन में असिस्टेंट डायरेक्टर पॉल ए काशिन के मुताबिक वैक्युम क्लीनर से कैश खींच लेने के बाद नई करेंसी को संचालित करने के लिए क्लीनर को रिवर्स चलाया जा रहा है, जिसके कारण देश में खपत पर गंभीर असर पड़ा है.
IMF ने क्या दिया सुझाव
गौरतलब है कि आईएमएफ ने भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट में कैश की समस्या से निपटने के लिए कुछ और तरीके सुझाए हैं जिसमें करेंसी की निकासी पर लगे प्रतिबंध को हटाने समेत पुरानी करेंसी के टार्गेटेड इस्तेमाल का भी एक तरीका है.
IMF ने कहा- नोटबंदी का पड़ा निगेटिव असर
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठन आईएमएफ ने यह भी सलाह दी है कि नोटबंदी ने विकास दर पर नकारात्मक प्रभाव डाला है लिहाजा सरकार को देश के बैंकों के एनपीए बढ़ने के खतरों के प्रति सजग रहने की जरूरत है. इसके साथ ही सरकार को अर्थव्यवस्था के उन सेक्टर को मदद देने की जरूरत है जिन्हें नोटबंदी के बाद नुकसान उठाना पड़ा है.
कब तक रहेगा नोटबंदी का असर?
आईएमएफ के मुताबिक नोटबंदी के नकारात्मक प्रभाव 2017 की पहली तिमाही के दौरान जारी रह सकते हैं. गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को आईएमएफ ने विकास दर को 6.6 फीसदी आंका था और वित्त वर्ष 2017-18 के बाद विकास दर 7.2 फीसदी होने की संभावना जताई थी.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर को देश में सर्वाधिक प्रचलित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को अमान्य घोषित कर दिया था. इस फैसले से मार्केट में लगभग 86 फीसदी करेंसी बाजार से एक झटने में बाहर हो गई थी.