Advertisement

नोटबंदी में ज्वैलर्स का खेल: फर्जी ग्राहक, फर्जी बिल, जमा की करोड़ों की बेहिसाब नकदी

नोटबंदी के दौरान ज्वैलर्स ने अचानक बड़े पैमाने पर नकदी जमा की. जो ज्वैलर्स पहले बैंकों में साल में 2-3 लाख रुपये जमा करते थे, उन्होंने नोटबंदी के दौरान कुछ ही दिनों में करोड़ों रुपये जमा किए. वे इसका हिसाब भी नहीं दे पाए.

नोटबंदी के दौरान जमा हुई बेहिसाब नकदी (फाइल फोटो: रॉयटर्स) नोटबंदी के दौरान जमा हुई बेहिसाब नकदी (फाइल फोटो: रॉयटर्स)
ऐश्वर्या पालीवाल
  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:40 AM IST

  • वित्त मंत्रालय ने पकड़ा नोटबंदी के दौरान ज्वैलर्स का खेल
  • बैंक में अचानक करोड़ों रुपये जमा करने लगे कई ज्वैलर
  • इनकी जानकारी उन्होंने आयकर रिटर्न में भी नहीं दी

नोटबंदी के दौरान हजारों ज्वैलर्स का एक बड़ा कारनामा वित्त मंत्रालय की पकड़ में आया है. जो ज्वैलर्स पहले बैंकों में साल में 2-3 लाख रुपये जमा करते थे, उन्होंने नोटबंदी के दौरान कुछ ही दिनों में करोड़ों रुपये जमा किए. उन्होंने ग्राहकों का जो ब्योरा और बिल दिखाए वे फर्जी थे और वे इसका स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए कि आख‍िर इतनी नकदी उनके पास कहां से आई.

Advertisement

नोटबंदी के दौरान जमा में 93648 फीसदी की बढ़त

एक ज्वैलर के खाते में जमा नकदी में तो 93648 फीसदी की बढ़त हुई है. वित्त मंत्रालय की जांच से यह भी पता चला कि इन ज्वैलर्स ने इस जमा नकदी के बारे में आकलन वर्ष 2017-18 के इनकम रिटर्न में भी जानकारी नहीं दी. गौरतलब है कि 8 नवंबर, 2016 को पीएम मोदी ने देश में नोटबंदी की घोषणा की थी.

पता चला कि गुजरात के एक ज्वैलर ने 9 नवंबर, 2016 से 30 दिसंबर 2016 के बीच नोटबंदी के दौरान 4 करोड़ 14 लाख, 93 हजार रुपये जमा किए, जबकि एक साल पहले इतने ही अवध‍ि में उसने सिर्फ 44,260 रुपये जमा किए थे. यानी इस दौरान उसकी नकद जमा में 93648 फीसदी की बढ़त हुई.

क्यों हुई जांच

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक नोटबंदी के दौरान बड़े पैमाने पर ज्वैलर्स द्वारा नकदी जमा करने पर संदेह था और ऐसे कुछ मामलों को चुनकर उनकी जांच की गई.

Advertisement

यही नहीं, नोटबंदी के दौरान बड़े अनसेक्योर्ड लोन की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे ही एक दिलचस्प मामले में सिर्फ 64,550 रुपये के सालाना इनकम रिटर्न वाले एक ज्वैलर ने नोटबंदी के दौरान 72 लाख रुपये बैंक में जमा किए. एक अन्य मामले में 3.23 करोड़ रुपये के सालाना इनकम रिटर्न वाले एक ज्वैलर के बैंक खाते में 52.26 करोड़ रुपये की नकदी जमा की गई. इस ज्वैलर्स के खाते में 9 नवंबर 2015 से 9 नवंबर 2016 के बीच 6.22 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी जमा की गई. इस प्रकार उसकी नकदी में 23490 फीसदी की बढ़त हुई है और वह इसकी कोई वजह भी नहीं बता पाया है.

फर्जी बिल और फर्जी ग्राहक

एक और ज्वैलर का सालाना रिटर्न 11 लाख रुपये से कम था, लेकिन उसने नोटबंदी के दौरान 3.15 करोड़ रुपये जमा कर दिया. सूत्रों के अनुसार, इन सभी के कामकाज का तरीका लगभग एक ही है. इनका दावा है कि अक्टूबर में उन्हें बड़ी मात्रा में ग्राहकों से एडवांस या लोन मिले थे. हालांकि वे इसका बिल नहीं दिखा पाए. कुछ के बहीखातों में सोना-चांदी या आभूषण खरीदने की एंट्री हुई है, लेकिन वे सब फर्जी पाए गए. कुछ ज्वैलर्स ने करोड़ों के ऑर्डर मिलना दिखाया, लेकिन इनकी कभी आपूर्ति नहीं की गई.

Advertisement

ऐसे भी किया खेल

एक ऐसा मामला भी देखा गया कि बहुत सारे ज्वैलर्स ने ग्राहकों से 20 हजार रुपये से कम नकदी एडवांस के तौर पर ली, उसे बैंक में जमा किया और बाद में उन्होंने बिना किसी वजह के ग्राहकों को वापस कर दिया.  

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement