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नोटबंदी में विलेन बने जन धन खाते? जानें एक साल में क्या हुआ

नोटबंदी के फैसले को एक साल पूरा हो गया है. इस एक साल के दौरान केन्द्र सरकार को कोई ऐसा बड़ा फायदा हाथ नहीं लगा है जिसके सहारे वह अगामी चुनावों में दिखाकर अपने विरोधियों का मुंह बंद कर सके.

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राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:02 AM IST

नोटबंदी के फैसले को एक साल पूरा हो गया है. इस एक साल के दौरान केन्द्र सरकार को कोई ऐसा बड़ा फायदा हाथ नहीं लगा है जिसके सहारे वह अगामी चुनावों में दिखाकर अपने विरोधियों का मुंह बंद कर सके.

आंकड़ों की बात करें तो केन्द्र सरकार ने कालाधन का बही-खाता रखने के लिए जिस गरीब कल्याण योजना को लॉन्च किया उसमें महज 5,000 करोड़ रुपए एकत्र हुए हैं. इसी पैसे को आज की तारीख में नोटबंदी से बरामद हुआ कालाधन कहा जा सकता है.

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काले धन के कुछ बड़े रहस्य सरकार की जन धन योजना के पास हो सकते हैं. वही जन धन जिसे सरकार ने गरीबों को बैंकिंग व्यवस्था से जोडऩे के लिए शुरू किया था. लेकिन नोटबंदी के बाद सरकार ने सुर्खियों में आए जन धन पर चुप्पी साध ली है. लेकिन इस चुप्पी के बावजूद जनता के सामने इससे जुड़े कई आंकड़े मौजूद हैं.

गौरतलब है कि केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने भी इसी साल मार्च में नोटबंदी के असर पर अपनी रिपोर्ट देश से साझा की थी. इससे पहले 3 फरवरी को केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी नोटबंदी से जुड़े कुछ सवालों पर नई जानकारी दी थी.

इनके आधार पर देखिए कि नोटबंदी के दौरान जन धन क्या हुआ था?

-नोटबंदी  से पहले अप्रैल से जुलाई के बीच लगभग 73,000 खाते प्रति दिन खोले जा रहे थे लेकिन नोटबंदी के दौरान प्रति दिन दो लाख खाते खुले. नोट बदलने की सभी सीमाएं खत्म होने के बाद (मार्च से जुलाई से 2017) के बीच जन धन खाते खुलने का औसत दैनिक घटकर 92,000 पर आ गया.

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- नोटबंदी के ठीक बाद 23.30 करोड़ नए जन धन खाते खोले गए. इनमें से 80 फीसदी सरकारी बैंकों में खुले. लगभग 54 फीसदी शहरों में खुले और शेष गांवों की शाखाओं में.

- नोटबंदी के वक्त (9 नवंबर 2016) को इन खातों में कुल 456 अरब रुपए जमा थे जो 7 दिसंबर 2016 को 746 अरब रुपए पर पहुंच गए.

- नोटबंदी के 53 दिनों में जन धन खातों में 42,187 करोड़ रुपए जमा हुए. इनमें से 18,616 करोड़ रुपए तो 9 नवंबर से 16 नवंबर के बीच शुरुआती आठ दिनों में ही इन खातों में जमा हो गए. ये आंकड़ा नोटबंदी से पहले के 53 दिनों के मुकाबले 1850 फीसदी ज्यादा है.

- नोटबंदी के पहले जन धन खातों में औसतन 43 करोड़ रुपए का दैनिक जमा होता था. नोटबंदी शुरू हो होते ही पहले हक्रते में प्रति दिन 2,327 करोड़ रुपए जमा होने लगे. नोटबंदी खत्म होते ही एवरेज डेली ट्रांजैक्शन में 95 फीसदी की कमी दर्ज की गई.

- नोटबंदी के दौरान जन धन की ताकत दिखाने वालों में गुजरात सबसे आगे रहा. 9 नवंबर 2016 से 25 जनवरी 2017 तक राज्य के जन धन खातों के डिपॉजिट में 94 फीसदी का इजाफा हुआ. इसी अवधि में कर्नाटक में जन धन डिपॉजिट 81 फीसदी, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र में 60 फीसदी, झारखंड और राजस्थान में 55 फीसदी, बिहार में 54 फीसदी, हरियाणा में 50 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 45 फीसदी और दिल्ली में 44 फीसदी बढ़े.

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- जन धन खातों में नोटबंदी के पहले हफ्ते में डिपॉजिट में 40 फीसदी की ग्रोथ देखकर 15 नवंबर 2016 को वित्त मंत्रालय ने एक बार में 50 हजार रुपए से ज्यादा राशि जन धन में जमा करने पर रोक लगा दी.

- नोटबंदी के दौरान जन धन खातों का औसत बैलेंस 180 फीसदी तक बढ़ गया था, जो मार्च में घटकर नोटबंदी के पहले वाले स्तर पर आ गया.

 नोटबंदी के एक साल बाद भी बरकरार हैं ये सस्पेंस

1. गरीबों के जीरो बैलेंस खातों का व्यवहार गहरे सवाल खड़े करता है. नोटबंदी के दौरान इन खातों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी का रहस्य क्या है?

2. वित्त मंत्री ने फरवरी में संसद को बताया था कि विभिन्न खाताधारकों (जन धन सहित) को आयकर विभाग ने 5,100 नोटिस भेजे हैं, इसके बाद नोटबंदी जन धन इस्तेमाल की जांच कहां खो गई?

3. नोटबंदी के दौरान अनियमितता को लेकर बैंकों की शुरू हुई जांच भी बीच में क्यों छूट गई?

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