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सदर बाजार में नोटबंदी का असर, चुनावी सामग्री की बिक्री ठप्प

दरअसल सदर बाजार में चुनाव प्रचार सामग्री भी बड़े पैमाने पर मिलती है लेकिन नोटबंदी के बाद हो रहे चुनावों के लिए चुनावी सामग्री की बिक्री में काफी गिरावट आई.

सदर बाजार में नोटबंदी का असर, चुनावी सामग्री की बिक्री ठप्प सदर बाजार में नोटबंदी का असर, चुनावी सामग्री की बिक्री ठप्प
शुभम गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST

सदर बाजार दिल्ली का सबसे बड़ा थोक सदर बाजार माना जाता है. चुनाव में भी इस बाजार की अहम भूमिका रहती है. दरअसल सदर बाजार में चुनाव प्रचार सामग्री भी बड़े पैमाने पर मिलती है लेकिन नोटबंदी के बाद हो रहे चुनावों के लिए चुनावी सामग्री की बिक्री में काफी गिरावट आई. बाजार के दुकानदारों का मानना है कि कारोबार पर नोटबंदी की मार पड़ी है.

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अलग अलग पार्टियों के झंडों से लेकर छल्ले तक सदर बाजार में मिलते हैं. चुनावों में इस्तेमाल होने वाली राजनीतिक दलों की टोपियां भी आजकल काफी खरीदी जाती हैं. लेकिन फिलहाल दुकानों पर सुस्ती है.

सदर बाजार के व्यापारी अशोक गुप्ता पिछले 45 सालों से चुनावी सामग्री बेच रहे हैं. इंदिरा गांधी के जमाने से लेकर नरेंद्र मोदी तक अशोक गुप्ता ने चुनावी सामग्री बेची है. अशोक का कहना है कि अब पार्टियां चुनावी सामग्री के बजाय टीवी विज्ञापनों पर ज्यादा पैसा खर्च करती हैं.

MCD चुनाव से उम्मीद
दिल्ली में जल्द ही नगर निगम के चुनाव होने वाले हैं. सदर बाजार के व्यापारियों को उम्मीद है कि शायद दिल्ली के चुनाव में उनका कारोबार कुछ बेहतर हो जाए. दुकानदारों का मानना है कि नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी आने के बाद इस बार चुनावी सामग्री की बिक्री में बढ़ोतरी की संभावना है.

 

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