
विजडन की तारीफ हासिल करना क्रिकेटर जगत में बड़ी बात मानी जाती है. प्रसिद्ध 'येलो बुक' (Wisden Almanack) से प्रशंसा ने हमेशा क्रिकेट संस्कृति में एक विशेष स्थान रखा है. दूसरी तरफ क्रिकेट की दुनिया में ऐसी घटनाएं भी देखने को मिली हैं, जिनकी विजडन ने कड़े शब्दों में आलोचना की है. इसी कड़ी में 39 साल पहले एक ऐसा वाकया जुड़ा, जिससे क्रिकेट कलंकित हुआ.
टेस्ट इतिहास की सबसे अशोभनीय घटना...
जी हां! बात हो रही है डेनिस लिली और जावेद मियांदाद के बीच हुई उस बहुचर्चित लड़ाई की, जब बीच मैदान पर ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के दो दिग्गजों में हाथापाई की नौबत आ गई थी. मियांदाद ने अपने बल्ले को खतरनाक अंदाज में लहराया था, वह बैट लेकर लिली को मारने दौड़े थे. इस घटना को विजडन एल्मनैक ने टेस्ट इतिहास की सबसे अशोभनीय घटनाओं में से एक माना है.
जावेद मियांदाद की कप्तानी में तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए पाकिस्तान की टीम अक्टूबर 1981 में ऑस्ट्रेलिया पहुंची थी. कप्तान के रूप में यह मियांदाद पहली विदेश यात्रा थी. और वह एक ऐसी टीम का नेतृत्व कर रहे थे, जिसमें एकजुटता नहीं थी. कई वरिष्ठ खिलाड़ी मियांदाद की नियुक्ति से नाखुश थे और अपना असंतोष जाहिर कर चुके थे. विजडन ने तो यहां तक उल्लेख किया कि 'मियांदाद को पूरी टीम का समर्थन हासिल नहीं था.'
1981 के पर्थ टेस्ट में क्रिकेट हुआ 'खतरनाक'
सीरीज का पहला टेस्ट पर्थ (13 से 17 नवंबर 1981) में खेला गया, जहां पहली पारी में मेजबान ऑस्ट्रेलियाई टीम 180 रनों पर सिमट गई. जवाब में पाकिस्तान की पहली पारी में महज 62 रनों पर ढेर हो गई. एक समय तो मेहमान टीम ने 28 के स्कोर पर अपने 8 विकेट गंवा दिए थे. इसके लिए जिम्मेदार थी डेनिस लिली (5/18) और टेरी एल्डरमैन (4/36) की कातिलाना गेंदबाजी.
दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलियन ने 424/8 का स्कोर खड़ा कर पारी घोषित कर दी और पाकिस्तान के सामने जीत के लिए 543 रनों का पहाड़ सा लक्ष्य छोड़ा. मैच खत्म होने में करीब दो दिन बचे थे. पाकिस्तान को दो शुरुआती झटके लग चुके थे. उसने 27 के स्कोर पर 2 विकेट खो दिए, तब कप्तान मियांदाद क्रीज पर उतरे.
मियांदाद और मंसूर अख्तर के बीच साझेदारी बन रही थी. दोनों ने दर्शकों के उभरते शोर का दबाव और लिली की गेंदों का जमकर सामना किया. लेकिन चायकाल से 40 मिनट पहले मैदान पर तनाव बढ़ गया. इस बीच लिली ने मियांदाद के खिलाफ एलबीडब्ल्यू की अपील की, जिसे अंपायर ने ठुकरा दिया. दूसरी गेंद पर मियांदाद आसान सिंगल पूरा करने के लिए आगे बढ़े, लेकिन गेंदबाज लिली उनसे टकरा गए. प्रत्यक्षदर्शियों ने माना कि लिली जानबूझकर बल्लेबाज के रास्ते में चले आए थे.
... जब लिली ने मियांदाद को उकसाया था
आखिकार मियांदाद ने लिली को अपने रास्ते से हटाते हुए वह रन पूरा किया और नॉन स्ट्राइकर छोर पर आ गए. लेकिन इसके बाद जो हुआ वह अच्छा नहीं हुआ. लिली ने मियांदाद के पैड पर लात मारते हुए इशारा किया कि गेंद यहां लगी थी (एलबीडब्ल्यू की अपील के वक्त). फिर क्या था मियांदाद ने अपना बैट उठा लिया.. और बल्ले को तलवार की तरह लहराते हुए लिली को मारने दौड़े.
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल ने किसी तरह दोनों को अलग किया. लेकिन लिली एक बार फिर लगभग छह गज की दूरी के बाद पीछे मुड़े और मियांदाद की ओर बढ़े. अंपायर टोनी क्राफ्टर और चैपल को एक बार फिर बीच बचाव करना पड़ा और किसी तरह वह ओवर समाप्त हुआ. आखिरकार ऑस्ट्रेलिया ने वह मैच 286 रनों से जीत लिया.
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लिली पर 200 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का जुर्माना लगाया गया, जिसे बाद में घटाकर 120 डॉलर कर दिया गया, लेकिन दो मैचों का प्रतिबंध जोड़ दिया गया. लिली उस सीरीज के बाकी दो टेस्ट मैचों में भी उतरे, हालांकि सजा के तौर पर बेंसन एंड हेजेज वर्ल्ड सीरीज कप के दो कम महत्वपूर्ण वनडे मैचों से बाहर रहे. टूर्नामेंट की तीसरी टीम वेस्टइंडीज की थी.