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शमी की पत्नी के फोटो पर देवबंद के उलेमा बोले 'मुस्लिमों के लिए इस्लामी लिबास का पाबंद होना जरूरी'

शमी ने नववर्ष पर ट्विटर पर पत्नी के साथ फोटो अपलोड करने के साथ लिखा कि ना साथी है ना हमारा है कोई, ना किसी के हम ना हमारा कोई, आपको देखकर कह सकते हैं एक प्यारा सा हमसफर है कोई. शुभ नववर्ष.' शमी के इस ट्वीट पर भी उन्हें बुरा-भला कहते हुए खूब ट्रॉल किया जाने लगा.

मोह. शमी के द्वारा डाली गई फोटो मोह. शमी के द्वारा डाली गई फोटो
खुशदीप सहगल
  • देवबंद,
  • 02 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST

टीम इंडिया के स्पीडस्टर मोहम्मद शमी को सोशल मीडिया पर ट्रॉल्स के बाउंसर्स का लगातार सामना करना पड़ रहा है. शमी ने 23 दिसंबर को पत्नी हसीन जहां का फोटो क्या अपलोड किया कि सोशल मीडिया पर मॉरल पोलिसिंग के ठेकेदार हाथ धोकर उनके पीछे पड़ गए. लेकिन शमी ने साफ कर दिया था कि वो ऐसे लोगों के सामने झुकने वाले नहीं हैं. शमी ने नववर्ष पर ट्विटर पर अपने प्रशसंकों के लिए शुभकामनाएं देने के साथ जो फोटो ट्वीट किया, उसे लेकर उन्हें फिर सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल इस फोटो में शमी की पत्नी ने बैक से कट वाला ब्लाऊज पहन रखा है.

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आलोचना करने वाले पहले अपने अंदर झांके
शमी को जहां ट्रॉल्स का सामना करना पड़ रहा है वहीं उलेमाओं की ओर से भी उनके खिलाफ सख्त टिप्पणी की गई है. 23 दिसंबर को शमी ने पत्नी का जो फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड किया था उसमें वो कट स्लीव्स वाला गाउन पहने थीं. इसके बाद शमी को सोशल मीडिया पर खूब ट्रॉल किया गया था. लेकिन शमी ने आलोचनाओं का करार जवाब देते हुए कहा था कि वो अच्छी तरह जानते हैं कि वो क्या कर रहे हैं. शमी ने साथ ही आलोचना करने वालों को अपने अंदर झांकने के लिए कहा था.

शमी ने नववर्ष पर ट्विटर पर पत्नी के साथ फोटो अपलोड करने के साथ लिखा कि ना साथी है ना हमारा है कोई, ना किसी के हम ना हमारा कोई, आपको देखकर कह सकते हैं एक प्यारा सा हमसफर है कोई. शुभ नववर्ष.' शमी के इस ट्वीट पर भी उन्हें बुरा-भला कहते हुए खूब ट्रॉल किया जाने लगा.

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शमी के पिता ने ट्रॉल्स को बेटे के खिलाफ साजिश बताया
'द फाइनेंशियल एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक शमी के पिता तौसीफ शमी ने बेटे के खिलाफ ट्रॉल किए जाने को सुनियोजित साजिश बताया है. तौसीफ शमी का कहना है कि इस्लाम क्या कहता है ये उन्हें पता है, इस पर किसी की सलाह की जरूरत नहीं है.

उलेमाओं की ओर से फिर सख्त टिप्पणी
इस बीच, देवबंद में जकरिया मदरसा के मुफ्ती और ऑनलाइन फतवा विभाग के चेयरमैन अरशद फारूखी ने इस मामले में प्रतिक्रिया दी है. मुफ्ती ने कहा कि एक मुसलमान मर्द को और एक मुसलमान औरत को यह चाहिए कि वो इस्लाम की तालिमात के पाबंद रहें. उन्ही में से इस्लामी लिबास का पाबंद रहना भी जरूरी है. जो लोग इस्लामी लिबास के पाबंद नहीं रहते हैं वो अल्लाह के नाफ़रमान हैं. हम उनसे गुजारिश करेंगे कि अल्लाह की नाफ़रमानी छोडें और इस्लामी लिबास इस्तेमाल करें. चाहे हमारे भाई हों या बहने हों उन सबको दीन का लिहाज रखना चाहिए और इस्लामी लिबास भी दीन का एक हिस्सा है, इसका पाबंद रहना चाहिए.'

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