
भारत में अवैध रूप से रह रहे करीब 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण देने या खदेड़े जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में नया मोड़ आ गया है. चेन्नई के एक संगठन इंडिक कलेक्टिव ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की गुहार लगाई है. संगठन ने अपनी अर्जी में कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में रहने की इजाजत देना देश में अशांति, हंगामा और दुर्दशा को आमंत्रित करना है, लिहाजा इन्हें भारत में रहने ना दिया जाए.
इंडिक कलेक्टिव ने म्यांमार सरकार के आधिकारिक बयान का हवाला देते हुए रोहिंग्या मुसलमान को 'इस्लामिक आतंक' का चेहरा बताया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि म्यांमार ने भी रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता देने से इनकार कर दिया है. इसके बाद म्यांमार में हिंसा कर ये रोहिंग्या मुसलमान भागकर भारत आ गए हैं और जम्मू- कश्मीर, हैदराबाद, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर सहित भारत में विभिन्न जगहों पर अवैध रूप से रह रहे हैं.
अर्जी में रोहिंग्या मुसलमानों से संबंधित मामले में दखल देने अपील भी की गई है. इससे पहले रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार वापस भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर CJI दीपक मिश्रा की बेंच ने चार सितंबर को पहली सुनवाई की. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट 11 सितंबर को मामले पर अगली सुनवाई करेगा.
उधर मानवाधिकार आयोग भी सरकार को नोटिस भेज चुका है कि बिना समुचित बुनियादी इंतजाम के रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार भेजना उचित नहीं है. मानवाधिकार से सवाल उठाया है कि भारत सरकार इनको सरहद पार म्यांमार भेज दे और म्यांमार सरकार इनको स्वीकार न करे तो इनका भविष्य क्या होगा? आयोग ने इनके लिए म्यांमार सीमा पर अस्थायी शिविर, पेयजल, रोशनी और खाने का समुचित इंतजाम करने को कहा है.