
मुंबई-अहमदाबाद हाइ-स्पीड रेल परियोजना की एक अहम मंजूरी बिल्कुल ऐन वक्त पर आई. 14 सितंबर को उधर जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे का हवाई जहाज अहमदाबाद के लिए रवाना हुआ और इधर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में 0.9 हेक्टेयर जमीन का टुकड़ा, परियोजना का एक टर्मिनल बनाने के लिए रेलवे को सौंपने का आदेश जारी किया. अगले दिन आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रेल लाइन के दूसरे छोर पर यानी 508 किमी दूर अहमदाबाद में परियोजना की आधारशिला रखी.
परियोजना के 2022 में पूरा होने के बाद यह हाइ-स्पीड ट्रेन दो शहरों के बीच की दूरी दो घंटे में पार कर लेगी. यही वजह है कि हफ्ते में दो बार मुंबई और सूरत के बीच सफर करने वाले हीरा व्यापारी किशन सोलंकी बुलेट ट्रेन के लिए बेहद बेताब हैं. वे कहते हैं, ''जब यह ट्रेन चलने लगेगी, तो जितना वक्त मुझे मुंबई एयरपोर्ट पहुंचने में लगता है, उतने वक्त में तो मैं सूरत पहुंच जाऊंगा."
तिस पर भी इस परियोजना को लेकर महाराष्ट्र में सियासी खींचतान शुरू हो गई है और सियासी पार्टियों का कहना है कि इस रेल लाइन की वजह से मुंबई हिंदुस्तान की वित्तीय राजधानी होने का अपना दर्जा और अहमियत अहमदाबाद के हाथों गंवा देगी.
यह 1.10 लाख करोड़ रु. की रेल परियोजना प्राथमिकताओं के गलत होने के आरोप भी झेल रही है. कहा जा रहा है कि रेल सुरक्षा के ऊपर तेज रक्रतार को अहमियत दी जा रही है. मुंबई में 29 सितंबर को एल्फिंस्टन रोड रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे से इन आरोपों को बल मिला है. हादसे में 23 लोगों की मौत हो गई थी, इस हादसे के बाद लोगों के गुस्से को शांत करने के लिए भाजपा की सरकार ने शहर के तीन स्टेशनों—करी रोड, एल्फिंस्टन रोड और आंबिवली—पर पैदल पुल बनाने के काम के लिए सेना की मदद ली है.
फडऩवीस ने इंडिया टुडे से कहा कि उनका पूरा जोर मुंबई के मेट्रोपोलिटन इलाके में सार्वजनिक परिवहन का मजबूत नेटवर्क खड़ा करना है जिसके लिए छह मेट्रो लाइनों का काम हाथ में लिया गया है. वे कहते हैं कि पहली मेट्रो 2019 में चलने लगेगी.
पता यह चला कि बुलेट ट्रेन परियोजना फडऩवीस के ड्रीम प्रोजेक्ट अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आइएफएससी) के एक हिस्से पर बनेगी. बुलेट ट्रेन के टर्मिनल के लिए 0.9 हेक्टेयर का जो टुकड़ा रेलवे को सौंपा गया है, वह 50 हेक्टेयर की उस जमीन में शामिल था जो आइएफएससी के लिए तय किया गया है. 70,000 करोड़ रु. के इस आइएफएससी में वल्र्ड ट्रेड सेंटर की तर्ज पर दक्रतर और सभागार बनाए जाने हैं, जिनसे अंतराष्ट्रीय कारोबार को बढ़ावा मिलने और 15 लाख नौकरियों के पैदा होने की उम्मीद है. इस प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) का दर्जा देने से इनकार कर दिया है. अगर यह दर्जा मिल जाता तो आइएफएससी अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को करों से छूट की पेशकश कर सकता था. हालांकि फडऩवीस कहते हैं, ''मैं आपको भरोसा दिला सकता हूं कि आइएफएससी बीकेसी में ही बनेगा. हमने इसका रास्ता खोज लिया है."
शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की दलील है कि बुलेट ट्रेन वित्तीय कंपनियों को इस बात के लिए बढ़ावा देगी कि वे अपने कारोबार को गुजरात ले जाएं, जहां दफ्तरों के लिए जगहें मुंबई के मुकाबले सस्ती हैं. वे दावा करते है कि हाइ-स्पीड ट्रेन परियोजना का असल फायदा गुजरात सरकार के वित्तीय केंद्र—गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (जीआइएफटी या गिफ्ट)—को मिलेगा. आंकड़े भी उनकी बात की तस्दीक करते मालूम देते हैं. गिफ्ट में दफ्तर की जगह 1,200 रु. प्रति वर्ग फुट है, जबकि बीकेसी में यह 35,000 रु. प्रति वर्ग फुट है. गिक्रट में रियल एस्टेट के दाम जहां 2007 से ठहरे हुए हैं, वहीं बीकेसी में इनके 2022 तक और बढ़ जाने की संभावना है.
आइएफएससी की गवर्निंग काउंसिल के एक सदस्य ठाकरे की अटकलों को खारिज करते हैं. उनका कहना है कि बड़ी कंपनियां अपने बैकरूम ऑपरेशंस भले ही ले जाएं, पर उनके हेडक्वार्टर मुंबई में ही रहेंगे. वे कहते हैं, ''कंपनियां 50,000 वर्ग फुट भले ही गिक्रट में खरीद लें, पर वे कम से कम 5,000 वर्ग फुट आइएफएससी में पक्का खरीदेंगी."
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के दफ्तर के एक अफसर कहते हैं कि बुलेट ट्रेन टर्मिनल का फडऩवीस का विरोध मोलभाव की रणनीति का हिस्सा था. फडऩवीस चाहते थे कि 0.1 फीसदी की ब्याज दर पर बुलेट ट्रेन परियोजना में 80,000 करोड़ रु. की रकम लगा रही जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआइसीए) एक और बुलेट ट्रेन लाइन—मुंबई और मुख्यमंत्री के गृहनगर नागपुर के बीच बनाने के लिए इसी किस्म का कर्ज दे. मुंबई को नासिक, औरंगाबाद और अमरावती की मार्फत नागपुर से जोडऩे की गरज से प्रस्तावित इस परियोजना के लिए राज्य सरकार ने शुरुआती अध्ययन करवाया है. ये अफसर दावा करते हैं, ''यह खालिस इस हाथ दो, उस हाथ लो की रणनीति थी. आप देखेंगे कि जेआइसीए जल्दी ही नागपुर बुलेट ट्रेन में पैसा लगा रही होगी." हालांकि राज्य के परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने राज्य की अपनी बुलेट ट्रेन योजना को सार्वजनिक कर दिया पर फडऩवीस इसमें पैसा लगाने के लिए जेआइसीए से बात करने की खबरों का खंडन करते हैं.
फडऩवीस ने दावा किया कि इस बुलेट ट्रेन परियोजना से महाराष्ट्र के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में खासी उछाल आएगी. लेकिन इसके लिए पहले उन्हें पटरी से सियासी विरोध को दूर करना होगा.