
फिल्म का नाम: धनक
डायरेक्टर: नागेश कुकुनूर
स्टार कास्ट: कृष छाबरिया, हेतल गड्डा, विपिन शर्मा , गुलफाम खान, विभा छिब्बर, रघु राम
अवधि: 1 घंटा 56 मिनट
सर्टिफिकेट: U
रेटिंग: 3 स्टार
जब भी निर्माता निर्देशक नागेश कुकुनूर का नाम सामने आता है तो 'हैदराबाद ब्लूज', 'इकबाल', ' डोर', 'रॉकफोर्ड', 'आशाएं' जैसी फिल्में आंखों के सामने दस्तक देने लगती हैं. इस नेशनल अवॉर्ड विनिंग डायरेक्टर ने इस बार एक और फिल्म बनाई है जो भाई बहन की कहानी है, इसे 'धनक' नाम दिया गया है जिसका मतलब 'इंद्रधनुष' है, आइए समीक्षा करते हैं.
कहानी
फिल्म की कहानी दो अनाथ भाई बहन छोटू (कृष छाबरिया) और परी (हेतल गड्डा) की है जिनका पालन पोषण उनके चाचा (विपिन शर्मा) और चाची
करते हैं. राजस्थान की पृष्टभूमि पर आधारित इस कहानी में जहां एक तरफ छोटू को सलमान खान पसंद है तो वहीं परी को सिर्फ शाहरुख खान अच्छा
लगता है. दुर्भाग्यवश छोटू को आंखों से दिखाई नहीं देता है और एक दिन जब परी को ये पता चलता है की उसके भाई की आंख सिर्फ और सिर्फ शाहरुख
खान की एक मुहीम की वजह से आ सकती है, उसी दिन परी अपने भाई को लेकर पास के गांव जैसलमेर में शूटिंग कर रहे शाहरुख खान से मिलवाने के
लिए निकल पड़ती है, पूरा रास्ता काफी मुश्किलों से भरा होता है और आखिरकार उनकी जर्नी पूरी होती है या नहीं? इसे जानने के लिए आपको नजदीकी
सिनेमाघर तक जाना होगा.
स्क्रिप्ट
फिल्म की कहानी काफी सिम्पल है, जो की नागेश की फिल्मों में अक्सर दिखाई पड़ती है. संवाद और छोटी-छोटी बारिकियों का विशेष ध्यान रखा गया है,
एक आठ साल का बच्चा जो गा सकता है, लेकिन देख नहीं सकता, वो क्या-क्या बातें अपनी बहन और आस-पास के लोगों से कर जाता है, इसकी
लिखावट कमाल की है. नागेश ने बड़ी ही खूबसूरती के साथ एक बार फिर से राजस्थान को दिखाया है. फिल्म में सह कलाकार भी किस तरह से कहानी
को आगे ले जाते हैं, इसका फिल्मांकन भी बेहतरीन है.
अभिनय
फिल्म में छोटू के किरदार में कृष ने उम्दा काम किया है, विक्लांग बच्चे का रोल बेहतरीन निभाया है. वहीं बहन परी का रोल हेतल ने बहुत सहज
निभाया है. दोनों की बातचीत काफी प्रभावित करती है. वहीं बाकी कलाकारों जैसे विपिन शर्मा, विजय मौर्या, विभा छिब्बर ने भी अच्छा काम किया है.
कमजोर कड़ी
फिल्म की कहानी इंटरवल के बाद थोड़ी लंबी लगने लगती है, जिसे और सटीक रखा जा सकता था. यह कमर्शियल फिल्म नहीं है तो शायद एक मसाला
फिल्म देखने वाले दर्शक इसकी तरफ कम ध्यान दें.
संगीत
फिल्म के दौरान आने वाले राजस्थानी लोक गीत बहुत ही लाजवाब हैं और खासतौर से 'दमा दम मस्त कलंदर' वाले गाने की जुगलबंदी काफी सही है.
म्यूजिक कर्णप्रिय है .
क्यों देखें
अगर आप हल्की फुल्की और सिंपल कहानियों को देखना पसंद करते हैं तो पूरे परिवार के साथ जरूर देख सकते हैं.