
काशी में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नेतृत्व में चल रही परम धर्म संसद 1008 में गंगा नदी को लेकर रविवार को एक प्रस्ताव पारित किया गया. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि गंगा के निर्मल प्रवाह को बनाए रखने के लिए इस नदी पर किसी डैम का निर्माण न किया जाए. सरकार को इस संबंध में कानून बनाना चाहिए.
धर्म संसद में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि गंगा नदी पर सभी डैम को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए. साथ ही तुरंत प्रभाव से गंगा नदी में बहाए जाने वाले औद्योगिक कचरे को रोका जाना चाहिए.
गौरतलब है कि 3 दिनों तक चलने वाली इस धर्म संसद में चारों पीठों के शंकराचार्य के प्रतिनिधि, 543 संसदीय क्षेत्रों के प्रतिनिधि, देश और विदेश के साधु-संत समेत संसद में प्रतिनिधित्व कर रहे 36 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है.
काशी धर्म संसद में कई मुद्दों पर चर्चा हो रही है जिनमें मुख्य द्वार पर काशी में विकास के नाम पर मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ा जाना और गंगा की सफाई अहम है. धर्म संसद में पहुंचे साधु-संतों ने उनके संसदीय क्षेत्र में मंदिरों और मूर्तियों के तोड़े जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर आलोचना की.
साधु-संतों ने पहले दिन की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धोखा देने वाला व्यक्ति बताया जिसने गंगा की सफाई के बड़े-बड़े सपने दिखाए 4.5 साल के बाद भी गंगा की हालत जस की तस है.
आज तक से खास बातचीत करते हुए शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि धर्म संसद के दौरान अयोध्या में राम मंदिर बनने के मुद्दे पर भी चर्चा होगी.