
पितृपक्ष कल यानी 6 सितंबर से शुरू हो रहा है. यह 15 दिनों तक चलता है. लेकिन तिथियों के घट-बढ़ के कारण इस बार पितृपक्ष सिर्फ 14 दिन का ही होगा. इस दौरान पितरों को खुश करने वाले कार्य किए जाते हैं. इसे ही श्राद्ध कहते हैं. श्राद्ध को पितरों का यज्ञ भी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान अपने पितृ ऋण को उतारा जाता है.
इस पक्ष में षष्ठी की हानि है, तो त्रयोदशी व चतुर्दशी का श्राद्ध एक ही दिन 18 सितंबर को किया जाएगा. वहीं अमावस्या दो दिन पड़ रही है. इसमें 19 सितंबर को श्राद्ध अमावस्या (सर्वपैत्री अमावस्या) यानी पितृ विसर्जन किया जायेगा तो 20 को स्नान-दान की अमावस्या मनायी जायेगी. अमावस्या तिथि 19 सितंबर को दिन में 11.16 बजे लग रही है, जो 20 को प्रात: 10.22 बजे तक रहेगी.
असम में आज से ही श्राद्ध की शुरुआत हो चुकी है. आज पूर्णिमा का श्राद्ध है.
यह भी कहा जाता है कि इस दौरान पितृ धरती पर दोबारा आते हैं और अपने सगे-संबंधियों को देखते हैं. इसलिए पितृपक्ष में पिंड दान किया जाता है . पिंड दान के रूप में दरअसल पितरों को भोजन, जल आदि दिया जाता है. इसे ही श्राद्ध कहते हैं.
जानिये, कब-कब है कौन सा श्राद्ध
6 सितंबर - प्रतिपदा का श्राद्ध
7 सितंबर - द्वितीया का श्राद्ध
8 सितंबर - तृतीया का श्राद्ध
9 सितंबर - चतुर्थी का श्राद्ध
10 सितंबर - पंचमी (भरणी) का श्राद्ध
11 सितंबर - अनुदया षष्ठी का श्राद्ध
12 सितंबर - सप्तमी का श्राद्ध
13 सितंबर - अष्टमी का श्राद्ध
14 सितंबर - नवमी
स्त्रियों का श्राद्ध
15 सितंबर - दशमी का श्राद्ध
16 सितंबर - एकादशी (इंद्रा एकादशी)
17 सितंबर - द्वादशी (संन्यासी, वैष्णव, यति का श्राद्ध)
18 सितंबर - त्रयोदशी व चतुर्दशी का श्राद्ध (शास्त्रादि से मृत व्यक्तियों का श्राद्ध)
19 सितंबर - अमावस्या श्राद्ध (सर्वपैत्री) व पितृ विसर्जन