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रमा एकादशी व्रत 2017: जानें महत्व, पूजन विध‍ि और व्रत की सावधानियां

आज एकादशी है. कार्तिक महीने की दिव्य एकादशी. कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से पूजा उपासना की जाए तो साक्षात ईश्वर को महसूस किया जा सकता है. इस दिन कान्हा की उपासना से मन की कोई भी कामना पूरी की जा सकती है. इसलिए आज हम आपको इस अद्भुत व्रत के जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने वाले हैं.

भगवान विष्णु भगवान विष्णु
वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 11:18 AM IST

आज एकादशी है. कार्तिक महीने की दिव्य रमा एकादशी. कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से पूजा उपासना की जाए तो साक्षात ईश्वर को महसूस किया जा सकता है. इस दिन कान्हा की उपासना से मन की कोई भी कामना पूरी की जा सकती है. इसलिए आज हम आपको इस अद्भुत व्रत के जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने वाले हैं.

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हर एकादशी की महिमा अलग होती है. इसी प्रकार रमा एकादशी जिसे रम्भा एकादशी भी कहते हैं , इस एकादशी का भी अपना अलग महत्व है. इस दिन वासुदेव श्री कृष्ण के केशव रूप की उपासना की जाती है. कहते हैं कि इस दिन की पूजा से कान्हा से साक्षात्कार भी संभव है. जानिये रम्भा एकादशी व्रत पूजन की सबसे उत्तम विधि और इसका महत्व...

क्या है एकादशी व्रत का महत्व...

दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण और शुभ फलदायी व्रत है एकादशी व्रत. यह हर माह में दो बार आती है - शुक्ल पक्ष में और कृष्ण पक्ष में.

चन्द्रमा की स्थितियों के आधार पर यह व्रत रखते हैं, ताकि मानसिक रूप से कोई समस्या न हो. इन दिनों में व्रत रखने से मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहता है और सामान्य बीमारियां परेशान नहीं करतीं. मन की एकाग्रता बढ़ाने के लिए और मन से सम्बंधित समस्याओं के निवारण के लिए यह व्रत अचूक होता है.

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दुनिया में आप कोई व्रत-उपवास न भी रखें, पर अगर नियमित रूप से एकादशी का उपवास रखते हैं, तो हर प्रकार की सफलता आपको मिल सकती है.

लेकिन एकादशी का उपवास नियम से रखने पर ही लाभदायक होता है.

रम्भा एकादशी व्रत की महिमा...

रम्भा एकादशी यानी रमा एकादशी कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी है . यह चातुर्मास की अंतिम एकादशी है. इस एकादशी का व्रत रखने से पापों का नाश तो होता ही है, साथ में महिलाओं को सुखद वैवाहिक जीवन का वरदान भी मिलता है.

इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को ईश्वर की कृपा का भी अनुभव भी होता है. इस बार रम्भा एकादशी 15 अक्टूबर को है.

कैसे रखें रम्भा एकादशी का व्रत, कैसे करें पूजा...

- प्रातः काल या सायं काल भगवान कृष्ण या केशव का पूजन करें.

- मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर पूजन करें.

- श्री केशव को पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें.

- श्री कृष्ण के मन्त्रों का जाप करें

- साथ ही गीता का पाठ भी अवश्य करें

- रात्रि को चंद्रोदय हो जाने पर दीपदान करें

- रात्रि जागरण करके अगर उपासना करें तो ज्यादा शुभ होगा

- अगले दिन प्रातःकाल जूते, छाते और वस्त्र का दान करें.

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- तब नींबू पानी पीकर व्रत का समापन करें

एकादशी के दिन किन बातों का ध्यान रखें... 

- अगर व्रत न रख सकें तो भी सात्विक और हल्का आहार लें.

- श्री केशव की उपासना और गीता का पाठ जरूर करें.

- वाणी और व्यवहार पर नियंत्रण रखें.  

- मांस मदिरा और नशे की वस्तुओं से परहेज करें.

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