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पितृपक्ष में किन पशु-पक्षियों को कराया जाता है भोजन, क्या है महत्व

जानिये, पितृपक्ष में क्यों कराया जाता है जानवरों और पक्ष‍ियों को भोजन, पढ़ें...

पितृपक्ष में जानवरों और पक्ष‍ियों को खाना ख‍िलाएं पितृपक्ष में जानवरों और पक्ष‍ियों को खाना ख‍िलाएं
वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:18 PM IST

ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष में हमारे पितर धरती पर आकर हमें आशीर्वाद देते हैं. ये पितृ पशु पक्षियों के माध्यम से हमारे निकट आते हैं. जिन जीवों तथा पशु पक्षियों के माध्यम से पितृ आहार ग्रहण करते हैं वो हैं - गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी.

श्राद्ध के समय इनके लिए भी आहार का एक अंश निकाला जाता है, तभी श्राद्ध कर्म पूर्ण होता है. श्राद्ध करते समय पितरों को अर्पित करने वाले भोजन के पांच अंश निकाले जाते हैं - गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के लिए. इन पांच अंशों का अर्पण करने को पञ्च बलि कहा जाता है.

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किस प्रकार पच्च बलि दी जाती है

सबसे पहले भोजन की तीन आहुति कंडा जलाकर दी जाती है. श्राद्ध कर्म में भोजन के पूर्व पांच जगह पर अलग-अलग भोजन का थोड़ा-थोड़ा अंश निकाला जाता है. गाय, कुत्ता, चींटी और देवताओं के लिए पत्ते पर तथा कौवे के लिए भूमि पर अंश रखा जाता है. फिर प्रार्थना की जाती है कि इनके माध्यम से हमारे पितर प्रसन्न हों.

इन पांच जीवों का ही चुनाव क्यों किया गया है

कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक है ,चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं. इस प्रकार इन पांचों को आहार देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं. इसलिए पितृ पक्ष में गाय की सेवा विशेष फलदाई होती है. मात्र गाय को चारा खिलने और सेवा करने से पितरों को तृप्ति मिलती है साथ ही श्राद्ध कर्म सम्पूर्ण होता है.

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गाय की सेवा से पितरों का आशीर्वाद

पितृ पक्ष में गाय की सेवा से पितरों को मुक्ति मोक्ष मिलता है. साथ ही अगर गाय को चारा खिलाया जाय तो वह ब्राह्मण भोज के बराबर होता है. पितृ पक्ष में अगर पञ्च गव्य का प्रयोग किया जाय, तो पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है. साथ ही गौदान करने से हर तरह के ऋण और कर्म से मुक्ति मिल सकती है.

 

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