
कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच भी लॉकडाउन को धता बता रहे चर्चित DHFL मामले से जुड़े कपिल और धीरज वधावन समेत 23 लोगों को महाबलेश्वर से महाराष्ट्र पुलिस ने हिरासत में लिया है.आइए जानते हैं कि क्या है डीएचएफएल, येस बैंक, पीएमसी और यूपी के पीएफ घोटाले का पूरा मामला जिससे वधावन बंधु जुड़े हुए हैं.
दरअसल, दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक कपिल वधावन (47) गैर-कार्यकारी निदेशक धीरज वधावन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच चल रही है, जिसमें कपिल वधावन को ईडी ने गिरफ्तार भी किया था. लेकिन फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं. वहीं YES बैंक फर्जीवाड़े मामले में राणा कपूर के खिलाफ जांच चल रही है, इसमें भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दायरे में अब वधावन बंधु भी ईडी और सीबीआई के रडार पर हैं.
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DHFL एक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी है और कपिल वधावन इसके चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक हैं. यह कंपनी अब डूबने के कगार पर है और इसको बेचने की प्रक्रिया चल रही है. इस कंपनी पर बैंकों का करीब 40,000 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है. कंपनी के पास पैसे नहीं हैं कि वो चुका सके. पैसे के घपले को लेकर ईडी ने 19 अक्टूबर 2019 को इस मामले की जांच शुरू की.
बिक रही कंपनी
गौरतलब है कि कर्ज में डूबी रियल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल अब इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्शी कोड (IBC) के तहत दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है. इसको बेचने की प्रक्रिया चल रही है. हाल में इसके लिए बोली लगाने की डेट बढ़ाकर 7 मई की गई है. पहले डेट 16 अप्रैल था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इसे बढ़ा दिया गया है. कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के विफल हो जाने के बाद कंपनी गंभीर रूप से नकदी संकट का सामना करने लगी. चर्चित पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक (PMC) के अलावा कंपनी को बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, सिंडिकेट बैंक, इंडियन बैंक और देना बैंक ने कर्ज दे रखा था.
पीएमसी घोटाले से जुड़े तार
गौरतलब है कि पिछले साल महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक में घोटाले का खुलासा हुआ था और बैंक दिवालिया हो गया था. इसमें भी एचडीआईएल की बड़ी भूमिका सामने आई. मुंबई पुलिस की जांच से अब यह खुलासा हुआ है कि पीएमसी बैंक के अधिकारियों ने खस्ताहाल कंपनी HDIL के शीर्ष अधिकारियों के व्यक्तिगत खातों में सीधे 2000 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए. यह रकम एचडीआईएल को लोन के नाम पर मंजूर की गई थी. खस्ताहाल रियल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल की मदद के लिए पीएमसी बैंक के अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 44 गुप्त खाते खोल रखे थे. एचडीआईएल को जो लोन दिए गए वे बाद में गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) में बदल गए और बैंक के हजारों करोड़ रुपये फंस गए.
क्या है येस बैंक मामले से जुड़ाव
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने येस बैंक केस में पूछताछ के लिए DHFL के प्रमोटर्स धीरज वधावन और कपिल वधावन को समन किया था लेकिन दोनों ने देश में कोरोना वायरस फैला होने का हवाला देकर पेश होने से इनकार कर दिया. जांच एजेंसी को दिए लिखित जवाब में दोनों प्रमोटर्स ने कहा कि देश के मौजूदा हालात में स्वास्थ्य प्राथमिकता है.
पिछले महीने ईडी के बुलावे पर नहीं पहुंचे थे
पिछले महीने ईडी ने वधावन बंधुओं को येस बैंक मामले में पूछताछ के लिए समन किया था. तब कपिल वधावन ने ईडी को भेजे जवाब में कहा था कि 'मैं स्वास्थ्य परेशानियों से गुजर रहा हूं. कोरोना वायरस महामारी और मेरी उम्र के चलते मेरी पहले से खराब सेहत को अधिक जोखिम है. इसलिए मेरे लिए मुंबई की यात्रा करना मुश्किल है.' उनके भाई धीरज वधावन ने भी कुछ इसी तरह का पत्र ईडी को भेजा था. डीएचएफएल से जुड़ी कंपनियों और इसके अधिकारी जांच के घेरे में हैं. धीरज वधावन कपिल वधावन के भाई हैं और डीएचएफएल के गैर-कार्यकारी निदेशक हैं, बता दें, गिरफ्तार आरोपी हुमायूं मर्चेंट और रणजीत सिंह बिंद्रा से पूछताछ के दौरान धीरज वधावन का नाम सामने आया था.
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17 मार्च को बुलाया था
ED ने दोनों प्रमोटरों को येस बैंक केस के सिलसिले में जांच से जुड़ने के लिए 17 मार्च को बुलाया था. ED की ओर से येस बैंक मामले में DHFL की भूमिका की जांच की जा रही है. इसमें 3700 करोड़ का लेनदेन जांच के दायरे में है. जांच एजेंसियों का आरोप है कि DHFL ने येस बैंक से कर्ज लेने के लिए बैंक के संस्थापक राणा कपूर के परिवार की कंपनियों को 600 करोड़ रुपये घूस में दिए.
जवाब में क्या कहा वधावन भाइयों ने
आरोपों पर DHFL के प्रमोटर्स ने ED को भेजी चिट्ठी में कहा है, 'राणा कपूर को घूस देना बताना गलत है. जहां तक कर्ज का सवाल है तो ये 6 अचल संपत्तियों की ज़मानत मिलने के बाद दिए गए और इन संपत्तियों को गिरवी के तौर पर लिया गया. ऐसी जमानत में जोखिम कवर करने के लिए राधा कपूर (राणा कपूर की बेटी) की निजी गारंटी भी ली गई. उस वक्त राधा कपूर की संपत्ति 1400 करोड़ रुपये से ज्यादा थी.'
धीरज वधावन का नाम राज कुंद्रा से भी पूछताछ के दौरान सामने आया था, जब राज कुंद्रा ने कहा था कि उन्होंने मुंबई एयरपोर्ट के पास की एक ज़मीन वधावन को बेची थी. इसके अलावा इकबाल मिर्ची की प्रॉपर्टी को बिकवाने में धीरज वधावन का ही हाथ था, जिसकी वजह से ईडी ने धीरज को पूछताछ के लिए बुलाया था. 4 नवंबर को धीरज के बड़े भाई कपिल वधावन सारे दस्तावेज के साथ ईडी से मिले थे. और यही कपिल वधावन-धीरज वधावन की कंपनी डीएचएफएल है, जिसमें उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के कर्मचारियों ने अपने पीएफ का पैसा लगा रखा है और अब जो डूबने के कगार पर है.
माफिया डॉन इकबाल मिर्ची से क्या है रिश्ता
ईडी ने 11 अक्टूबर को डीएचएफल के प्रमोटर्स और इकबाल मिर्ची के बीच रिश्ते को लेकर रंजीत सिंह बिंद्रा और हुमायूं मर्चेंट की गिरफ्तारी की थी. पूछताछ के दौरान बिंद्रा ने कहा था कि वर्ली में इकबाल मिर्ची की तीन प्रॉपर्टीज हैं. बाद में ये प्रॉपर्टीज सनब्लिंक रियल स्टेट कंपनी को बेच दी गई. सनब्लिंक रियल स्टेट सनी की कंपनी है, जो धीरज का साला है. सनब्लिंक कंपनी धीरज वधावन की कंपनी कही जाती थी.
इकबाल मिर्ची के करीबी सहयोगी हुमायूं ने एक स्पेशल कोर्ट को बताया था कि उसने Sunblink Real Estate के साथ एक डील कराने के एवज में वधावन से 5 करोड़ रुपये लिए थे. ED एचडीआईएल की ओर से 2186 करोड़ रुपये का लोन सनब्लिंक रियल स्टेट को दिए जाने की जांच कर रही है.
यूपी के पीएफ घोटाले से भी जुड़ाव
पिछले साल यूपी पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) कर्मियों का करीब 2268 करोड़ का प्रॉविडेंट फंड (PF) दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) कंपनी में फंस जाने के चलते हडकंप मच गया था. एक ओर जहां इसके बाद सरकार की भूमिका पर सवाल उठने लगे तो वहीं दूसरी ओर नाराज बिजली कर्मचारियो नें भी सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन शुरू कर मोर्चा खोल दिया था. इस बीच सीएम योगी के निर्देश पर इसके जिम्मेदारों के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज कर यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्रा समेत कई लोगो को जेल भेज दिया गया.
मामले में सीबीआई जांच की भी संस्तुति करते हुए जांच शुरू होने तक आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को जांच सौंपकर इसमें शामिल अन्य लोगो के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
12 जुलाई, 2019 को इस मामले की जांच के लिए पावर कॉरपोरेशन ने खुद एक कमिटी बनाई. करीब 17 दिनों की जांच के बाद ये कमिटी बताती है कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में काम करने वाले 45,000 कर्मचारियों की भविष्य निधि में 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की गड़बड़ी हुई है. कमिटी ने बताया कि कर्मचारियों के पीएफ का 65 फीसदी हिस्सा सिर्फ तीन कंपनियों में लगाया गया है. और इस पैसे का भी 99 फीसदी हिस्सा सिर्फ एक कंपनी में लगा है, जिसका नाम है दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड यानी कि डीएचएफएल. पूरा बवाल सिर्फ डीएचएफएल में पैसे के निवेश को लेकर है. एक डूबती कंपनी में पैसा फंसने से लोगों को अपना पीएफ भी डूब जाने का डर है, लेकिन सरकार ने उनको राहत देने का आश्वासन दिया है.