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इकबाल मिर्ची की कंपनी से जुड़े DHFL में यूपी सरकार ने निवेश किए 2600 करोड़, 2 गिरफ्तार

बिजली विभाग के अधिकारियों ने लगभग 45,000 से ज्यादा बिजली कर्मचारियों के भविष्य निधि का 2631 करोड़ रुपया को गलत तरीके से DHFL में निवेश किया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. हालांकि जब तक इस पूरे घोटाले की जांच सीबीआई नहीं शुरू नहीं करती है, तब तक इसकी पड़ताल पुलिस महानिदेशक आरपी सिंह करेंगे.

 हजरतगंज कोतवाली के लॉकअप में सुधांशु द्विवेदी (फोटो-आजतक) हजरतगंज कोतवाली के लॉकअप में सुधांशु द्विवेदी (फोटो-आजतक)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 03 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST

  • UPPCL के दो अधिकारी गिरफ्तार
  • योगी सरकार ने जानकारी होते ही लिया सख्त फैसला
  • DHFL में प्रॉविडेंट फंड का पैसा किया निवेश
उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली विभाग के कर्मचारियों के प्रॉविडेंट फंड का पैसा इकबाल मिर्ची की कंपनी से जुड़े दागी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (DHFL) में निवेश करने पर दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. इस मामले में इन दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है. ये दो अधिकार यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन निदेशक (वित्त) और ट्रस्टी सुंधाशु द्विवेदी और जीएम प्रवीण कुमार गुप्ता हैं.

2631 करोड़ रुपये फंसे

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इन अधिकारियों ने लगभग 45,000 से ज्यादा बिजली कर्मचारियों के भविष्य निधि का 2631 करोड़ रुपये को गलत तरीके से DHFL में निवेश किया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. हालांकि जब तक इस पूरे घोटाले की जांच सीबीआई नहीं शुरू नहीं करती है, तब तक इसकी पड़ताल पुलिस महानिदेशक आरपी सिंह करेंगे.

बीते 10 अक्टूबर को यह मामला सामने आया था. शनिवार को लखनऊ में इस केस में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. जांच में पता चला कि बिजली कर्मचारियों के भविष्य निधि का पैसा नियमों के विरुद्ध डीएफएफएल में निवेश कर दिया गया है. इसके बाद इम्प्लाइज ट्रस्ट के सचिव पीके गुप्ता को सस्पेंड कर दिया गया था. बाद में पता चला कि डीएचएफएल खुद कई गड़बड़ियों में फंसी हुई है.

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DHFL का इकबाल मिर्ची से लिंक

हाल ही में DHFL के मालिकों से प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ की है. DHFL पर गैंगस्टर इकबाल मिर्ची की एक कंपनी से संबंधों का आरोप है. इकबाल मिर्ची अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का साथी है.

शनिवार को इस मामले पर ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी. ऊर्जा मंत्री ने पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग भी की थी. ऊर्जा मंत्री के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने की कार्रवाई की है.

योगी सरकार ने दोषियों को भेजा जेल, कराई जांच

ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि 2014 की सपा सरकार में तय हुआ कि बिजली कर्मचारियों का पीएफ प्राइवेट कंपनी को भेजा जाए. दिसंबर 2016 में तय किया गया कि DHFL कंपनी को पीएफ का पैसा भेजा जाए. श्रीकांत ने कहा कि योगी आदित्यनाथ के CM बनने के ठीक 2 दिन पहले DHFL को पैसा भेजा गया. योगी सरकार ने मामले की विजलेंस जांच कराकर दागियों को जेल भेजने के साथ ही सीबीआई जांच के आदेश दिए. इस मामले में यूपी पावर कारपोरेशन संघ के दो अलग-अलग पदाधिकारियों शैलेंद्र दुबे और अवधेश वर्मा ने दागियों पर प्रभावी कार्रवाई के लिए की योगी सरकार की तारीफ़ भी की.

नियमों को ताक पर रखकर निवेश

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इस मामले में शनिवार शाम को पावर कॉरपोरेशन के सचिव आई.एम कौशल की तरफ से एफआईआर दर्ज करवाई गई. एफआईआर में आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने बिना प्रबंध निदेशक और उच्चाधिकारियों की जानकारी के दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन में निवेश करने का निर्णय लिया. दोनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 466, 468 और 471 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. आरोपियों पर अमानत में खयानत, धोखाधड़ी और जालसाजी करने के आरोप हैं.

ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने कहा है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की नीति पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि वे किसी कर्मचारी के पीएफ का पैसा डूबने नहीं देंगे.

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