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क्या बंगाल में BJP को विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने की सजा मिली?

पश्चिम बंगाल की लोकसभा सीटों के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा, लेकिन सातवें और अंतिम चरण में जिन 9 सीटों पर मतदान हुआ था, उनमें से बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत सकी.

हिंसा के दौरान तोड़ही गई ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति हिंसा के दौरान तोड़ही गई ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति
निखिल रामपाल/इंद्रजीत कुंडू
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2019,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस लोकसभा चुनाव में पहले से बड़ी और ऐतिहासिक जीत हासिल की है. यह पहली बार है जब बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में जबरदस्त पैठ बनाई है. इसके पहले लंबे समय से यहां पर वामदलों और तृणमूल कांग्रेस का परचम लहराता रहा है. 2011 से अब तक पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी का गढ़ रहा है और बीजेपी यहां कभी भी दो अंकों तक सीट ला पाने में कामयाब नहीं हुई थी. इस बार पश्चिम बंगाल को बीजेपी बहुत तवज्जो दे रही थी और इसीलिए पीएम नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के बाद यहां पर सबसे ज्यादा रैलियां कीं.

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इंडिया टुडे डाटा इंटेलीजेंस यूनिट ने पश्चिम बंगाल की लोकसभा सीटों के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा, लेकिन सातवें और अंतिम चरण में जिन 9 सीटों पर मतदान हुआ था, उनमें से बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत सकी.

बीजेपी की चरण-वार बढ़त

पश्चिम बंगाल में छठवें चरण तक बीजेपी हर चरण में कम से कम दो सीटें जीतीं. पहले और दूसरे चरण में बीजेपी ने सभी सीटें जीत लीं, तीसरे चरण में पांच में से दो सीटें जीतीं. इस चरण में दो सीटें तृणमूल कांग्रेस को और एक सीट कांग्रेस को मिलीं. चौथे चरण में बीजेपी ने 3 और तृणमूल ने 4 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को एक सीट मिली. पांचवें चरण में भी बीजेपी ने 3 सीटें जीतीं, जबकि तृणमूल ने 4 सीटें जीतीं. छठवें चरण के दौरान चुनाव प्रचार काफी तनावपूर्ण हो गया और इस चरण में बीजेपी को 8 में से पांच सीटें मिलीं, जबकि इस चरण में तृणमूल को सिर्फ तीन सीटें मिलीं, लेकिन सातवें चरण में पश्चिम बंगाल की 9 सीटों पर चुनाव हुआ था और सभी सीटें तृणमूल ने जीत लीं. बीजेपी को अंतिम चरण में राज्य से एक भी सीट नहीं मिली. इन 9 सीटों में दमदम लोकसभा सीट को छोड़ दें तो सभी सीटों पर जीत का अंतर कम से कम एक लाख रहा. दमदम में जीत का अंतर 52,000 वोट रहा.

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अंतिम चरण के मतदान में पश्चिम बंगाल की 9 सीटें— बसीरहाट, डायमंड हार्बर, जयनगर, जाधवपुर, मथुरापुरा, कोलकाता उत्तर, कोलकाता दक्षिण, बरसात और दमदम थीं. दिलचस्प यह है कि 2014 में इन सभी 9 सीटों पर बीजेपी तीसरे स्थान पर थी और इस बार सभी पर दूसरे स्थान पर रही. हालांकि, उसका वोट शेयर पिछली बार के मुकाबले लगभग दोगुना बढ़ गया.

 

सातवें चरण में क्या हुआ?

संयोग से सातवें चरण में इन 9 सीटों पर मतदान के एक हफ्ते पहले पश्चिम बंगाल में हिंसा हुई. उत्तर कोलकाता में बीजेपी कार्यकर्ताओं और तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई और कॉलेज में स्थिति ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ दी गई. यह तब हुआ जब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह उत्तरी कोलकाता के एक हिस्से में रैली कर रहे थे. रैली के दौरान भड़की हिंसा के बाद करीब एक सदी पुराने विद्यासागर कॉलेज में लगी ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति को कुछ तत्वों ने तोड़ दिया. हालांकि, उनकी अब तक पहचान नहीं जा सकी है, लेकिन मूर्ति टूटने के बाद इस मसले पर खूब बवाल हुआ.

समाज सुधारक और शिक्षाविद विद्यासागर भद्र बंगाली संस्कृति शैक्षित अतीत का हिस्सा हैं. मूर्ति जिसने भी तोड़ी हो, लेकिन इस वजह से लोगों में इस घटना के प्रति गुस्सा जाहिर था. विद्यासागर की महत्ता को देखते हुए दोनों पार्टियों ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की और एक दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए. तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को कुछ 'सबूत' देकर कहा कि मूर्ति तोड़ने के पीछे बीजेपी कार्यकर्ता थे, वहीं पीएम मोदी ने हिंसा और तोड़फोड़ के लिए तृणमूल कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया. पीएम मोदी ने खुद वादा किया कि जहां पर विद्यासागर की मूर्ति तोड़ी गई है, वहीं पर वे विद्यासागर की मूर्ति लगवाएंगे.

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अगर वोटिंग पैटर्न देखा जाए तो कोलकाता शहर से लगी तीन महत्वपूर्ण सीटें बीजेपी हार गई, क्योंकि बहुत से लोगों ने पार्टी को वोट नहीं दिए. ममता बनर्जी ने कहा, 'यह हमला और मेरे प्रदेश का उत्पीड़न बेकार नहीं जाएगा, इसकी सजा मिलेगी. मैं हर चीज पर निगाह रख रही हूं. मैं एक एक इंच का बदला लूंगी.'

कोलकाता उत्तर, कोलकाता दक्षिण और जाधवपुर दक्षिण बंगाल की शहरी सीटें हैं, जहां पर तृणमूल कांग्रेस की मजबूत उपस्थिति है. वोटिंग के आधार पर देखा जाए तो बीजेपी इन तीनों सीटों पर एक लाख से ज्यादा वोटों से हारी है. सिर्फ जाधवपुर सीट ही तृणमूल ने 3 लाख वोटों के अंतर से जीत ली. इन तीनों सीटों पर तृणमूल कांग्रेस को 2014 के मुकाबले ज्यादा वोट मिले. कोलकाता दक्षिण सीट पर इस बार 1,55,192 वोटों की बढ़त हासिल हुई, जबकि पिछले चुनाव में 1,36,338 वोटों से जीत मिली थी. इसी तरह कोलकाता उत्तर सीट पर तृणमूल के सुदीप बंदोपाध्याय ने 1,27, 095 वोटों से जीत हासिल की, जबकि पिछले चुनाव में इस सीट पर तृणमूल को 96,226 वोट से जीत मिली थी. जाधवपुर सीट पर इस बार तृणमूल को 2,95,139 वोटों से भारी जीत हासिल हुई थी, जबकि 2014 में जीत का अंतर 1,25,203 था.

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विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तुरंत भावनात्मक मुद्दा बना लिया और बीजेपी को बाहरी पार्टी के तौर पर पेश किया जो बंगाल की संवेदनाओं से परिचित नहीं है. चुनाव नतीजों के आंकड़ों पर निगाह डालने पर ऐसा दिखता है कि विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने के बाद ममता बनर्जी ने बंगाली कार्ड खेला और मतदाताओं ने वोट न देकर बीजेपी को इसका दंड दिया.

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