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बंगलुरु की जेल में एआईएडीएमके प्रमुख शशिकला को मिल रहे वीवीआईपी ट्रीटमेंट के खुलासे से चर्चा में आईं डीआईजी रूपा का ट्रांसफर हो गया है. सोमवार को कर्नाटक सरकार की ओर जारी एक आदेश में साफ कर दिया गया है कि रूपा का ट्रांसफर तत्काल प्रभाव से किया जा रहा है. डीआईजी रूपा को उनके सख्त रवैये के लिए जाना जाता है.
DIG रूपा के अलावा जेल डीजी सत्यनारायण राव का भी ट्रांसफर कर दिया गया है. डीजीपी रूपा ने शशिकला के वीवीआईपी ट्रीटमेंट की रिपोर्ट सत्यनारायण राव को ही सौंपी थी. डीआईजी रूपा के ट्रांसफर पर पूर्व कर्नाटक सीएम कुमारस्वामी ने कहा कि ये काफी चौंकाने वाला फैसला है. लगता है कि सरकार कुछ छुपा रही है.
आपको बता दें कि हाल ही में खुलासा हुआ था कि बेंगलुरु की सेंट्रल जेल में बंद एआईएडीएमके प्रमुख शशिकला को वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है. खबरों के मुताबिक शशिकला के लिए जेल में एक अलग किचन की व्यवस्था की गई है. डीआईजी रूपा ने अपने बॉस को दी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि शशिकला को खास सुविधाएं मिल रही हैं, इसमें खाना बनाने के लिए स्पेशल किचन भी शामिल है. डीआईजी रूपा ने जेल के डीजीपी एचएसएन राव को यह पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि शशिकला ने अधिकारियों को रिश्वत के तौर पर दो करोड़ रुपए दिए हैं.यहां तक कि डीआईजी ने डीजीपी को भी इसमें शामिल बताया है.
डीजी सत्यनारायण के मुताबिक यदि डीआईजी ने जेल के अंदर ऐसा कुछ देखा था तो इसकी चर्चा उन्हें हमसे करनी चाहिए थी. यदि उन्हें लगता है कि मैंने कुछ किया तो मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं. सत्यनारायण राव ने बताया था कि कर्नाटक प्रिसिजन मैनुएल के रूल 584 के तहत ही शशिकला को छूट दी गई थी.
इस रूल के मुताबिक शशिकला अब 15 दिनों में 4 से 6 मुलाकातियों से ही मिल सकेंगी.दरअसल कर्नाटक जेल मैनुएल के मुताबिक विचाराधीन कैदी सप्ताह में दो बार अपने वकीलों या जान पहचान और रिश्तेदारों से मिल सकता है जबकि सज़ायाफ्ता 15 दिनों में 2 बार. शिकला को मार्च में चुनाव आयोग के साथ-साथ कोर्ट ऑर्डर्स की फॉर्मेलिटीज पूरी करने के लिए पार्टी और वकीलों से लगातार मिलना पड़ रहा था. इन्हीं हालातों को ध्यान में राखते हुए शायद जेल प्रशासन ने शशिकला को थोड़ी छूट दी थी.
विवाद तब उठ खड़ा हुआ था जब एक आरटीआई कार्यकर्ता को आरटीआई से जानकारी मिली कि एक महीने में शशिकला से 14 मौक़ों पर 28 लोगों ने बेंगलुरु सेंट्रल जेल में मुलाक़ात की. आरटीआई कार्यकर्ता नरसिम्हा मूर्ति ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे जेल मैनुएल का उल्लंघन बताया था. इस आरटीआई कर्यकर्ता के विरोध के बाद परपनाग्रहारा यानी बेंगलुरु सेंट्रल जेल प्रशासन ने सफाई दी.