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दीपा कर्मकार ने ओलिंपिक में पहली भारतीय महिला जिमनास्ट के तौर पर क्वालिफाई कर इतिहास रच दिया है. लेकिन भारत को फाइनल में एंट्री दिलाने के लिए उन्हें अपनी जिंदगी को दांव पर लगाना पड़ा. जगह सुरक्षित करने के लिए उन्होंने जो करतब दिखाया उसे प्रोदूनोवा कहा जाता है, जिसे साल 1999 में रूस की जिमनास्ट एलेना प्रोदूनोवा ने किया था. इसमें आगे एक हैंडस्प्रिंग और दो सोमरसॉल्ट्स होते हैं. इसे सबसे मुश्किल जिमनास्टिक्स में से एक माना जाता है.
दीपा की उपलब्धियां
9 अगस्त को 23 वर्ष की हुईं दीपा निर्भयता और कामयाबी की मिसाल हैं. साल 2007 से अब तक दीपा ने राज्य और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 77 मेडल जीते हैं, जिसमें 67 गोल्ड हैं. साल 2015 की हिरोशिमा एशियन चैंम्पियनशिप और 2014 के ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था और 2015 में हुई वर्ल्ड आर्टिस्टिक्स जिमनास्ट्स चैंम्पियनशिप में वह पांचवे स्थान पर रही थीं.
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बताया मौत का खेल
प्रोदूनोवा को वॉल स्ट्रीट जर्नल ने मौत का खेल बताया था, क्योंकि जब भी कोई जिमनास्ट इसे परफॉर्म करता है तो उसके अपंग होने का खतरा तो रहता ही है साथ ही इसमें जान जाने की भी संभावना होती है. एक छोटी सी गलती भी किसी खिलाड़ी का पूरा करियर तबाह कर सकती है. अमेरिकी जिमनास्ट सिमोन बाइल्स कहती हैं कि कोई इसे परफॉर्म करने पर मर भी सकता है और दीपा भी यह बात जानती हैं. लेकिन यह खतरा दीपा के हौसले के आगे बहुत छोटा है.
यह करतब इतना मुश्किल है कि इसे आज तक सिर्फ पांच लोग ही परफॉर्म कर पाए हैं. बाइल्स का महिला जिमनास्ट श्रेणी के इतिहास में सबसे ज्यादा गोल्ड जीतने का रिकॉर्ड है. लेकिन बावजूद इसके उन्होंने प्रोदूनोवा नहीं करने करने का फैसला किया, जो उन्हें एक खास बढ़त देता है. जब अमेरिकी जिमनास्ट लौरी हैरनाडेज से प्रैक्टिस के बाद प्रोदूनोवा के बारे में पूछा गया तो उनकी कोच ने कहा, शुक्रिया, मगर हम इसे नहीं करेंगे. बाइल्स ने दूसरे शब्दों में कहा, मैं मरने की कोशिश नहीं कर रही,
जान की फ्रिक नहीं, नजर सिर्फ ओलिंपिक मेडल पर
लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक दीपा ने पिछले तीन महीने में ओलिंपिक के लिए की गई प्रैक्टिस में इस करतब को 1000 बार परफॉर्म किया है. जिस करतब को एथलीट ओलिंपिक में परफॉर्म करने से घबराते हैं, उसे दीपा रोजाना कर रही हैं. खतरों से लोहा लेने वाली यही चीज उन्हें औरों से अलग करती है.
ओलिंपिक खेल तब आए जब प्रैक्टिस के लिए तीन महीनों का वक्त था. इसके बावजूद उन्होंने आखिरी क्षणों में रियो ओलिंपिक का टिकट सुरक्षित कर लिया. विश्व प्रतियोगिताओं में पांचवे स्थान पर रहने के बाद दीपा रियो के लिए दावा पेश नहीं कर पाईं थीं. लेकिन उन्हें जिमनास्ट फेडरेशन ऑफ इंडिया ने टेस्ट इवेंट के लिए भेजा जो रियो के लिए क्वालिफाई करने का आखिरी मौका था. उन्होंने इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए इवेंट में गोल्ड मेडल हासिल किया.