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लद्दाख में सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने के फिलहाल संकेत नहीं

पैंगोंग झील के किनारे पर भारतीय सैनिक फिंगर 3 और फिंगर 2 के बीच तैनात हैं. सूत्रों ने बताया कि अभी भी चीनी सेना की ओर से फिंगर 8 और फिंगर 4 के बीच बनाए गए ढांचों को गिराए जाने के कोई संकेत नहीं हैं.

LAC पर भारत-चीन के बीच तनाव बना हुआ है LAC पर भारत-चीन के बीच तनाव बना हुआ है
अभि‍षेक भल्ला
  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 7:00 PM IST

  • भारतीय सेना की सर्दियों के लिए रसद और तैनाती की तैयारी
  • दोनों पक्षों के सैनिक अब भी बहुत कम फासले पर मौजूद हैं

भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने की प्रस्तावित योजना को अहम रुकावट का सामना करना पड़ रहा है. कुछ टकराव वाले क्षेत्र अब भी अस्थिर बने हुए हैं जहां दोनों तरफ के जवान कुछ मीटर के फासले पर ही तैनात हैं. ये स्थिति 14 जुलाई को दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की वार्ता में पूरी तरह पीछ हटने का रोडमैप तैयार किए जाने के एक हफ्ते बाद है.

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सैनिकों के पीछे हटने के शुरुआती कदम के बाद अधिक कुछ नहीं बदला है. दोनों पक्षों के सैनिक अब भी बहुत कम फासले पर मौजूद हैं, हालांकि दोनों तरफ सैनिकों की संख्या में जरूर कमी आई है.

पेट्रोल पाइंट 17A के तहत आने वाले पैंगोंग झील और हॉट स्प्रिंग-गोगरा क्षेत्र अभी भी अस्थिर बने हुए हैं. सबसे बड़े फ्लैश पाइंट पैंगोंग झील के किनारे से चीनी सैनिक फिंगर 4 से फिंगर 5 तक पीछे हटे हैं लेकिन अभी भी रिज लाइन या छोटे पहाड़ी रास्तों पर उनकी मौजूदगी है.

पैंगोंग झील के किनारे पर भारतीय सैनिक फिंगर 3 और फिंगर 2 के बीच तैनात हैं. सूत्रों ने बताया कि अभी भी चीनी सेना की ओर से फिंगर 8 और फिंगर 4 के बीच बनाए गए ढांचों को गिराए जाने के कोई संकेत नहीं हैं.

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सूत्रों के मुताबिक, "नदी के तट पर दोनों ओर की सेनाओं के बीच की दूरी 4-5 किलोमीटर है, लेकिन झील के पहाड़ी किनारों पर दोनों तरफ के सैनिकों के बीच फासला एक किलोमीटर से भी कम है. अब एक हफ्ते से ज्यादा समय से भी यह स्थिति नहीं बदली है.

इससे पता चलता है कि झील पर अभी भी पूरी तरह से सैनिकों का पीछे हटना नहीं हुआ है, जहां चीनियों ने फिंगर 4 पर डेरा डाला था और जो क्षेत्र हमेशा भारतीय नियंत्रण में रहा है. चीनी सैनिक फिंगर 8 से आठ किलोमीटर घुस कर फिंगर 4 तक आ गए थे. भारत का मानना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) फिंगर 8 तक जाती है. पहाड़ से नदी तक आने वाले छोटे रास्तों को फिंगर्स कहा जाता है.

पैंगोंग झील के अलावा हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, जिसे पेट्रोल पॉइंट (PP17A) कहा जाता है. यहां से सैनिकों की संख्या में कटौती हुई है. सूत्रों के मुताबिक यहां 40-50 सैनिक अभी भी एक दूसरे के करीब हैं और केवल 600-800 मीटर के फासले पर हैं.

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गलवान घाटी में PP14 पर 15 जून को खूनी संघर्ष हुआ था जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. इस घटना के बाद चीनी LAC से 1.5 किमी पीछे चले गए थे. दोनों तरफ के सैनिकों के बीच यहां फासला 3 किलोमीटर है. यहां भी सैनिकों का पीछे हटना पूरी तरह नहीं हुआ है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि कम से कम दोनों पक्षों के बीच हाथों की लड़ाई जैसी उन घटनाओं से बचने के लिए पर्याप्त दूरी है, जो पहले हो चुकी हैं.

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चौथे फ्रिक्शन पाइंट PP15 पर सैनिकों का पीछे हटना पूरा हो गया लगता है. यहां भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच अब 8-10 किलोमीटर का फासला है.

मौजूदा डिसेन्गेजमेंट केवल टकराव वाले क्षेत्रों पर फोकस था. गहराई वाले इलाकों में तनाव घटने के कोई संकेत नहीं हैं. ये दिखाता है कि फ्रिक्शन वाले इलाकों में चीजें अब भी सामान्य होने से काफी दूर हैं. हाल के घटनाक्रम को देखते हुए भारतीय सेना शीतकालीन तैनाती और रसद को लेकर लंबे समय की तैनाती के लिए तैयारी कर रही है.

पूर्व महानिदेशक, मिलिट्री ऑपरेशन्स, लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (रिटायर्ड) ने कहा “लंबे समय तक तैनाती कहना अंडरस्टेटमेंट होगा, ये स्थिति महीनों या वर्षों तक बनी रह सकती है. यह डोकलाम जैसा नहीं है बल्कि अधिक गंभीर है. याद करें कि अरुणाचल प्रदेश में 1986 के सुमड्रोंग चू गतिरोध को खत्म होने मे 6-7 साल लगे थे.”

भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को जटिल बताया है. इसमें लगातार वैरीफिकेशन की जरूरत होती है. इससे संकेत मिलता है कि तनाव में कमी आना अभी भी दूर की बात है.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले हफ्ते लद्दाख का दौरा किया था और पैंगोंग झील के पास लुकुंग में सैनिकों को संबोधित किया था. तब उन्होंने संकेत दिया था कि डिसेन्गेजमेंट पर जैसे चर्चा हुई थी, वो जमीन पर अभी वैसे सामने नहीं आ सका है.

सिंह ने कहा था, “वार्ता एक समाधान ढूंढने के लिए जारी है लेकिन मैं इस बात की गारंटी नहीं दे सकता कि क्या होगा. भारत कभी किसी अन्य देश की भूमि पर नजर नहीं रखता. हम शांति चाहते हैं जो हमारा चरित्र है. हमने कभी भी किसी राष्ट्र की अस्मिता को चोट नहीं पहुंचाई है लेकिन अगर कोई हमारी अस्मिता को ठेस पहुंचाता है तो हम जवाब देंगे.''

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भविष्य में कोई आक्रामकता जारी रहती है या कोई देश भारतीय क्षेत्र पर कब्जे की कोशिश करता है तो भारत उसका जवाब देगा.

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