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लाभ के पद को लेकर आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता पर लटकी तलवार के बीच विपक्ष AAP के समर्थन में एकजुट होता दिख रहा है. पहले तृणमूल कांग्रेस, फिर CPIM के समर्थन के बाद अब शरद यादव ने AAP का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग की सिफारिश को अलोकतांत्रिक बताया है.
वहीं चुनाव आयोग पर उठ रहे सवालों के बीच शिवसेना के संजय राउत ने कहा है कि चुनाव आयोग का फैसला सवालों के घेरे में है. ऐसे फैसले दिए जाने पर चुनाव आयोग से सवाल होना सामान्य है. इसके लिए खुद आयोग जिम्मेदार है.
शरद यादव ने ट्वीट किया, 'AAP विधायकों की सदस्यता रद्द करना अलोकतांत्रिक है, क्योंकि उनका पक्ष सुना ही नहीं गया है, ये न्याय के खिलाफ है. आजकल देश की संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है. लोगों से अपील है कि वे इस पर गहनता से विचार करें, देश का भविष्य किनके हाथों में सुरक्षित है.'
'संदेह के घेरे में EC की निष्पक्षता'
माकपा की वृंदा करात ने कहा कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता के खिलाफ चुनाव आयोग का फैसला अलोकतांत्रिक है. इससे स्वायत्त, स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था के तौर पर चुनाव आयोग की विश्वसनीयता नहीं बढ़ेगी. करात ने कहा, 'हम चुनाव आयोग के इस फैसले का विरोध करते हैं.'
माकपा ने बताया जनतंत्र के लिए खतरे की घंटी
माकपा की ओर से कहा गया है कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ के पद के मामले में अयोग्य घोषित करने की चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रपति से की गई सिफारिश दुर्भाग्यपूर्ण है. गुजरात चुनाव की घोषणा में देर करना हो या लाभ के पद पर AAP विधायकों की अयोग्यता का अभी लिया गया फैसला हो, आयोग की निष्पक्षता संदेह के घेरे में है. यह जनतंत्र के लिए खतरे की घंटी है.
तृणमूल कांग्रेस का AAP को समर्थन
वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि राजनीतिक बदले के लिए संवैधानिक संस्था का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. ममता ने कहा, ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि विधायकों को चुनाव आयोग की ओर से अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया गया. सीएम ममता ने कहा कि ऐसे वक्त में उनकी पार्टी AAP व केजरीवाल के साथ है.