Advertisement

एक खुला खत उन पेरेंट्स के नाम बच्चों की हाई पर्सेंटेज न आने पर शर्मिंदा है...

अगर आपके बच्चे को बोर्ड परीक्षा में कम मार्क्स मिले हैं तो परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है. ज्यादा नंबर सफलता  की  गारंटी नहीं होते...

High percentage is not a guarantee for success High percentage is not a guarantee for success
स्नेहा
  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2016,
  • अपडेटेड 11:43 AM IST

सीबीएसई बोर्ड का रिजल्ट जारी हो चुका है. 12वीं बोर्ड के रिजल्ट को करियर के लिए माइल्स्टोन की तरह पेश किया जाता है. जिनके बच्चों के नंबर अच्छे आते हैं, वो घर-घर में मिठाइयां बांटते हैं, खुश होते हैं. जिनके बच्चे के मार्क्स कम आए हैं या फेल हो गए हैं वो यह मान लेते हैं कि उनका बच्चा जिंदगी में कुछ भी करने के काबिल नहीं है. उन्हें लगने लगता है कि उनकी और उनके बच्चे की जिंदगी बेकार है.

Advertisement

कई पेरेंट्स अपनी कमाई का मोटा हिस्सा बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करते हैं और रिजल्ट जब उनके हिसाब से नहीं आता है तो उनका सारा गुस्सा अपने बच्चे पर फूटता है. बच्चा बेचारा इस माहौल में काफी बेबस नजर आता है. कोई दिन-रात रोकर अपनी गुबार निकालता है तो कोई गहरे डिप्रेशन में चला जाता है. यह कहना शायद उचित न हो लेकिन सच यह है कि बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट के बाद अपने बच्चे को डिप्रेशन में ढकेलने के लिए कई मां-बाप खुद भी जिम्मेदार होते हैं. और इसके चलते कुछ स्टूडेंट्स आत्महत्या करने जैसा कदम तक उठा लेते हैं.

पेरेंट्स और बच्चे को हमेशा यह डर होता है कि अगर उनके मार्क्स 90 फीसदी से पार नहीं गए तो उन्हें अच्छा कॉलेज और मनपंसद विषय नहीं मिल पाएगा. बात एक हद तक सही है. देश के बड़े कॉलेजों के कटऑफ तो यही कहते हैं लेकिन यह हमारे एजुकेशन सिस्टम का दोष है, स्टूडेंट का नहीं. इतने बड़े देश में गिने-चुने ही कॉलेज अच्छे हैं.

Advertisement

पिछले साल जब गूगल के सीईओ सुंदर पिचई भारत आए और दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक बड़े कॉलेज एसआरसीसी गए थे तो उन्हें एक स्टूडेंट ने पूछा था कि 12वीं में उनके कितने पर्सेंट मार्क्स आए थे. इस पर पिचई का जवाब था कि इतने नहीं आए थे कि इस कॉलेज में दाखिला मिल पाता. अब इसी से इन नंबरों की अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है.

नंबर के हिसाब से अपने बच्चों की प्रतिभा की जांच करना किसी भी एंगल से सही नहीं है. हो सकता है कि आपके बच्चे को कोई खास विषय पसंद नहीं आता हो, उसकी रुचि कहीं और हो. आप उसे इंजीनियर बनाना चाहते हैं, वहीं वह आर्टिस्ट बनना चाहता हो. हो सकता है कि आप आज तक उसे समझ ही नहीं पाए हों क्योंकि आपने तो उसके लिए एक ख्वाब तय कर दिया है, एक सीमा तय कर दी है कि वह बड़ा होकर इंजीनियर, डॉक्टर और वकील ही बनेगा.

पेरेंट्स हमेशा अपने बच्चों की खुशी चाहते हैं. वो चाहते हैं कि उनका बच्चा बड़ा होकर किसी अच्छी जगह नौकरी करे. वो उनके भविष्य को हर हाल में संवारना चाहते हैं. खुद की जरूरतों को भी तिलांजली देकर हर हाल में बच्चों की मोटी फीस भरते हैं. लेकिन पेरेंट्स एक जगह बहुत बड़ी गलती कर जाते हैं. वो अपने बच्चों से यह पूछना भूल जाते हैं कि उन्हें किस चीज से खुशी मिलती है. उन्होंने अपने लिए क्या चुना है? बेशक पेरेंट्स का काम बच्चों को सही दिशा देना है लेकिन एक बार बच्चों कि दिशा भी तो समझें. शायद परिणाम कुछ बेहतर ही निकल आए.

Advertisement

अगर इस बोर्ड परीक्षा में आपके बच्चे के मार्क्स अच्छे आए हैं तो आपको बधाई. लेकिन अगर आपके बच्चे का रिजल्ट अच्छा नहीं आ पाया या वो फेल हो गया है तो प्लीज अपने बच्चे को डांटे नहीं और न ही किसी रिश्तेदार को उसका मनोबल कम करने दें. आप अपने बच्चे के साथ शांति से बैठें उसे बिल्कुल भी ऐसा न महसूस होने दें कि वह हार गया है और इससे आगे की जिंदगी उसके लिए किसी काम की नहीं है.

उसके साथ हर कदम पर रहें और उसे आगे बढ़ने का रास्ता दिखाएं. उसकी पसंद के बारे में पूछें, उसका हौसला बढ़ाएं. माना कि यह काम आपके लिए मुश्कि‍ल होगा लेकिन बच्चे की खुशी के आगे यह कुछ भी नहीं होगा. याद रखें सफलता सिर्फ अच्छे नंबर नहीं है, यह अपने चुने काम में आगे बढ़ने और हर दिन मुस्कुराने का नाम है...

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement