Advertisement

क्‍या आप जानते हैं अमरनाथ यात्रा की ये पौराणिक कथा?

अमरनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक महत्‍व और पुण्‍य की यात्रा है. इस यात्रा के बारे में आपने खूब सुना और पढ़ा होगा. आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए श्रद्धालु यहां आते हैं.

अमरनाथ यात्रा की कथा अमरनाथ यात्रा की कथा
वन्‍दना यादव
  • नई दिल्‍ली,
  • 06 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST

बाबा अमरनाथ से जुड़ी कई मान्यताएं और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि भक्त भगवान को जैसी श्रद्धा से पूजता है, भगवान भी उसी रूप में आकर उसे दर्शन देते हैं. भक्त का भाव ही उसे भगवान के समीप ले जाता है.

पहली कथा के अनुसार

अमरनाथ के बारे में यही कहा जाता है, जो भक्त उन्हें सच्चे मन से याद करता है, भगवान उनको दर्शन जरूर देते हैं. अमरनाथ धाम के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं. सबसे मुख्य कथा अमर कबूतर की है. इसके बाद मुस्लिम चरवाहे की कथा का उल्लेख भी मिलता है.

Advertisement

हालांकि इस कथा के मत मे कई लोग एक मत नहीं हैं फिर भी यह पौराणिक कथा प्रचलित है. ये कथा कुछ इस तरह है कि बूटा मलिक नामक एक मुस्‍लिम चरवाहे को एक ऋषि ने कोयले का एक बोरा दिया. घर पहुंचने के बाद मलिक ने पाया कि बोरे में सोना भरा हुआ है. वह इतना खुश हो गया कि खुशी के मारे ऋषि का आभार व्‍यक्‍त करने के लिए वापस उनके पास पहुंचा. वहां उसने एक चमत्‍कार देखा. उसे एक गुफा देखकर अपनी आंखों पर विश्‍वास नहीं हुआ. तभी से यह गुफा अमरनाथ गुफा धाम के नाम से मशहूर हो गई.

दूसरी कथा के अनुसार

दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती को भगवान शिव ने अमर होने की कथा सुनाई. माता पार्वती तो उस कथा को सुनते हुए सो गईं, लेकिन यह कथा एक कबूतर के जोड़े ने सुन ली तब से वो अमर हो गए. मान्यता है जो भी भक्त अमरनाथ यात्रा के लिए इस गुफा में आता है उसे इन कबूतरों के दर्शन होना किसी दैवीय कृपा से कम नहीं.

Advertisement

 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement