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क्या आप जानते हैं भगवान शिव की बहन के बारे में...

बहुत कम लोग जानते हैं कि शास्त्रों के मुताबिक शिव जी की एक बहन थीं. जानें क्या है उनके जन्म की कहानी और कैसे थे देवी पार्वती से उनके संबंध...

भगवान शिव भगवान शिव
वन्‍दना यादव
  • नई दिल्‍ली,
  • 28 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 1:09 PM IST

भगवान शिव की पत्नी और बच्चों के बारे में सभी जानते हैं लेकिन क्या आपको ये पता है कि शिवजी की एक बहन भी थीं. एक पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह किया तो वह खुद को घर में अकेला महसूस करती थीं. उनकी इच्छा थी कि काश उनकी भी एक ननद होती जिससे उनका मन लगा रहता लेकिन भगवान शिव तो अजन्मे थे.

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भगवान शिव तो अन्तर्यामी हैं, उन्होंने देवी पार्वती के मन की बात जान ली. उन्होंने पार्वती से पूछा कोई समस्या है देवी? तब पार्वती ने कहा कि काश उनकी भी कोई ननद होती.

भगवान शिव ने कहा मैं तुम्हें ननद तो लाकर दे दूं लेकिन क्या ननद के साथ आपकी बनेगी. पार्वती जी ने कहा कि भला ननद से मेरी क्यों न बनेगी. भगवान शिव ने कहा ठीक है देवी, मैं तुम्हें एक ननद लाकर दे देता हूं. भगवान शिव ने अपनी माया से एक देवी को उत्पन्न कर दिया. भगवान शिव ने कहा कि यह लो तुम्हारी ननद आ गयी. इनका नाम असावरी देवी है.

देवी पार्वती अपनी ननद को देखकर बड़ी खुश हुईं. असावरी देवी स्नान करके आईं और भोजन मांगने लगीं. देवी पार्वती ने भोजन परोस दिया. जब असावरी देवी ने खाना शुरू किया तो पार्वती के भंडार में जो कुछ भी था सब खा गईं और महादेव के लिए कुछ भी नहीं बचा. इससे पार्वती दुःखी हो गईं. इसके बाद जब देवी पार्वती ने ननद को पहनने के लिए नए वस्त्र दिए तो मोटी असावरी देवी के लिए वह वस्त्र छोटे पड़ गए. पार्वती उनके लिए दूसरे वस्त्र का इंतजाम करने लगीं.

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इस बीच ननद रानी को अचानक मजाक सूझा और उन्होंने अपने पैरों की दरारों में पार्वती जी को छुपा लिया. पार्वती जी का दम घुटने लगा. महादेव ने जब असावरी देवी से पार्वती के बारे में पूछा तो असावरी देवी ने झूठ बोला. जब शिव जी ने कहा कि कहीं ये तुम्हारी बदमाशी तो नहीं, असावरी देवी हंसने लगीं और जमीन पर पांव पटक दिया. इससे पैर की दरारों में दबी देवी पार्वती बाहर आ गिरीं.

उधर ननद के व्यवहार से देवी पार्वती का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. देवी पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि कृपया ननद को जल्दी से ससुराल भेजने की कृपा करें. मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैंने ननद की चाह की. इस पर भगवान शिव ने असावरी देवी को कैलाश से विदा कर दिया.

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