
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक अजीब-सा रिश्ता है. केजरीवाल हमेशा कहते हैं कि पीएम मोदी उन्हें काम नहीं करने देते हैं. अब इस बहस में एक नया मामला सामने आया है. अरविंद केजरीवाल के जीवन पर बन रही डॉक्यूमेंट्री फिल्म को रिलीज़ करने से पहले उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एनओसी लेनी पड़ेगी.
दरअसल, इस फिल्म में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शीला दीक्षित की कुछ फुटेज भी शामिल है, यही कारण है कि फिल्म रिलीज़ होने से पहले एनओसी जरूरी है. सेंसर बोर्ड ने फिल्म निर्देशक को कहा है कि पहले इन दोनों व्यक्तियों की एनओसी उन्हें दी जाए, उसके बाद ही इस पर फैसला लिया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के बाद खड़ी हुई आप और केजरीवाल पर बनी इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म को सेंसर बोर्ड ने सात कट के साथ मंजूरी तो दे दी है लेकिन पीएम मोदी और दीक्षित के फुटेज के इस्तेमाल के चलते दोनों से अनापत्ति (एनओसी) प्रमाणपत्र लाने को कहा गया है.
2011 आंदोलन पर बन रही है फिल्म
आपको बता दें कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता फिल्मकार आनंद गांधी ने अरविंद केजरीवाल के जीवन और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है. यह फिल्म साल 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और आम आदमी पार्टी के गठन पर आधारित है. इसका नाम एन इनसिग्निफिकेंट मैन (एक मामूली आदमी) है.
अरविंद केजरीवाल को केंद्र में रखकर ही बनाई गई इस फिल्म में आंदोलन के फुटेज का इस्तेमाल किया गया है. इसमें पीएम मोदी, शीला दीक्षित समेत कई नेताओं के बारे में दिए गए आपत्तिजनक बयान भी थे. इसलिए शुरुआत में सेंसर बोर्ड की इग्जामिनिंग कमेटी ने इसे पास करने से मना कर दिया था.
सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी का कहना है कि 'डॉक्यूमेंट्री फिल्म को हरी झंडी दे दी गई है लेकिन, नियमानुसार जिनकी फुटेज इस्तेमाल होती है उनका एनओसी लगता है, इसलिए निर्माताओं को कहा गया है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शीला दीक्षित की एनओसी लाएं'.