
भारत पाकिस्तान सीमा पर बिना किसी हथियार के तैनात रहकर देश की सुरक्षा करने वाले जैक की देशभक्ति आपको कायल कर देगी. यह सीमा पर हर मौसम में सेना के जवानों के साथ रहता है और उनकी हिफाजत करता है. जैक कोई इंसान नहीं, बल्कि भारतीय सेना का वफादार कुत्ता है, लेकिन उसका काम इंसानों से भी ज्यादा है. यही वजह है कि जिस चौकी पर वह रहता है, उसका नाम जैक पोस्ट रखा गया है.
जहां हाड़ कंपा देने वाली ठंड में फंसे जवानों की मदद के लिए जाने को कोई तैयार नहीं होता है, वहां यह जैक उनकी मदद के लिए हरवक्त साथ रहता है. यह भारत पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर सरहद की सबसे अंतिम चौकी पर करीब 30 जवानों के साथ रहता है.
यहां पर हालात चाहे जितने भी बदतर हों और मौसम की मार कैसी भी हो, लेकिन जैक अपनी ड्यूटी से कभी पीछे नहीं हटता है. वह सीमा पर रोजाना पेट्रोलिंग के लिए जाने वाली सेना की टोली का हिस्सा है. जैक सेना के जवानों के साथ रात-दिन रहता है. जहां सेना को अपनी ड्यूटी करने के लिए सुविधाओं की जरूरत होती है, तो वहीं दूसरी ओर यह जैक सब कुछ अपने बलबूते करता है.
जब सेना का काफिला गाड़ियों में निकलता है, तो इस सीमावर्ती इलाके में जैक उन गाड़ियों के पीछे-पीछे चलकर जवानों की हिफाजत करता है. इस बीच जब जवान कहीं आराम करते हैं, तो जैक उस खास इलाके की निगरानी करता है. अगर इस पूरे सफर के दौरान जैक को कोई अंजान शख्स दिखता है, तो वह जवानों को आगाह करता है.
इतना ही नहीं, जब सेना का काफिला पेट्रोलिंग के लिए निकलता है, तो जैक मोर्चा संभालते हुए सबसे आगे चलता है. अगर दुश्मन से कोई भिड़ंत होती है, तो सबसे पहले इसका सामना जैक को करना पड़ता है. जैक के इस जज्बे के आगे अच्छे-अच्छे सूरमाओं की हिम्मत घुटने टेक देती है.
सैन्य अधिकारी मेजर भारत का कहना है कि हर रोज जैक करीब 50 किलोमीटर का सफर तय करता है. वह कभी गाड़ी में नहीं बैठता है, जबकि जवान कभी-कभी गाड़ी में सवार होकर पेट्रोलिंग करते हैं. अगर रात के घनघोर अंधेरे में भी कोई हरकत होती है, तो जैक फौरन भांप लेता है.
मेजर भारत ने बताया कि जैक सेना की सीमावर्ती चौकी पर करीब पांच साल से तैनात है और इसी पोस्ट पर उस का जन्म भी हुआ था. उसकी सेना के जवानों के साथ इतनी गहरी दोस्ती है कि वह उनके बिना एक पल भी नहीं रहता है. वह हर वक्त जवानों के साथ ही रहता है. वह अपनी चौकी में तैनात सभी 30 जवानों को भलीभांति पहचानता है. वह इनके इशारों को भी बखूबी समझता है. साल में करीब चार महीने तक बर्फ से ढके रहने वाले इस सीमा की चौकी पर बर्फीले तूफानों में भी जैक जवानों के लिए काफी मददगार साबित होता है.
वह बर्फ के नीचे दबे सामान और शवों को न सिर्फ ढूढ़ निकलता है, बल्कि बर्फ से ढंके रास्तों को ढूढ़ने में भी जवानों की मदद करता है. सेना के एक जवान का कहना है कि दो साल पहले जैक की वफादारी देखकर सेना के एक अफसर उसे दूसरे मेहतपोन पोस्ट पर ज़बरदस्ती ले गए, लेकिन रात में ही जैक करीब 30 किलोमीटर का सफर तय करके वापस अपनी चौकी को लौट आया. इसके बाद भारत पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर स्थित सेना के इस पोस्ट का ही जैक पोस्ट रखा दिया गया.