
संसद में वीके सिंह के जिस 'कुत्ते' वाले बयान को लेकर विपक्ष उन्हें मंत्री पद से हटाने की मांग पर आमदा है, दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को उसी मामले में एक आपराधिक शिकायत खारिज कर दी. इसमें केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी.
इसके साथ ही बीते चार दिसंबर को अपना आदेश सुरक्षित रखने वाले मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मुनीश गर्ग ने शिकायतकर्ता की वह अर्जी भी खारिज कर दी, जिसमें शिकायत का संज्ञान लेने और मामले में समन जारी करने से पहले के सबूत दर्ज करने की मांग की गई थी. शिकायतकर्ता वकील सत्य प्रकाश गौतम की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आदेश पारित करने के लिए मामले को तय कर दिया था. गौतम ने कहा था कि विदेश राज्य मंत्री ने दलित समुदाय की भावनाएं आहत की हैं.
गौतम ने जाफराबाद पुलिस थाने के एसएचओ और जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की थी, क्योंकि उन्होंने उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की और मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया. हरियाणा में दो दलित बच्चों को जिंदा जलाए जाने की घटना के बाद सिंह के कथित तौर पर 'कुत्ते' वाली टिप्पणी को लेकर इन दिनों खूब हंगाम मचा हुआ है.
क्या थी शिकायतकर्ता की मांग
शिकायतकर्ता ने कहा था, 'सिंह ने दलित समुदाय के उन नाबालिग बच्चों को ‘कुत्ते’ कहा था. मेरे समुदाय की तुलना कुत्ते से करना अपमानजनक है. पुलिस कैसे कह सकती है कि इसमें कुछ भी अभद्र नहीं है? मैं यह कहने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई चाहता हूं कि इस मामले में कोई सबूत नहीं है.' पुलिस ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में पहले अदालत को बताया था कि पूर्व थलसेना प्रमुख ने ऐसी कोई 'अभद्र या अपमानजनक टिप्पणी नहीं की' जिससे उन पर मुकदमा चलाया जाए.
पुलिस ने कहा था कि सिंह के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है. बता दें कि वीके सिंह ने फरीदाबाद की घटना के सिलसिले में अपनी कथित टिप्पणी से विवाद पैदा कर दिया था. सिंह ने कथित तौर पर कहा था कि यदि कोई कुत्ते पर पत्थर फेंक दे तो सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
-इनपुट भाषा से