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नई हज नीति पेश, सब्सिडी खत्म करने सहित कई सुधारों की सिफारिश

नरेंद्र मोदी सरकार ने नई हज नीति पेश की है. इसमें 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम के हज पर जाने की इजाजत देने और समुद्री जहाजों से हजयात्रा के विकल्प पर विचार करने सहित कई कदम सुझाए गए हैं.

प्रतीकात्मक प्रतीकात्मक
साद बिन उमर
  • मुंबई,
  • 08 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 8:45 AM IST

नरेंद्र मोदी सरकार ने नई हज नीति पेश की है. इसमें 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम के हज पर जाने की इजाजत देने और समुद्री जहाजों से हजयात्रा के विकल्प पर विचार करने सहित कई कदम सुझाए गए हैं.

'हज नीति 2018-22' में हज यात्रियों को समुद्री मार्ग से भेजने के विकल्प पर काम करने की बात की गई है. आने वाले समय में समुद्री जहाज के जरिए हज पर जाना लोगों के लिए एक सस्ता विकल्प हो सकता है. इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि हज यात्रियों के प्रस्थान के स्थानों की संख्या को 21 से घटाकर नौ किया जाएगा.

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हज नीति तैयार करने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. सूत्रों के अनुसार नई हज नीति को 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक तैयार किया गया है. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि 10 साल की अवधि में सब्सिडी खत्म की जाए. नकवी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश में साफ तौर से सब्सिडी के बारे में बात की गई है. हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हज सब्सिडी खत्म हो और गरीब हजयात्रियों पर बोझ कम पड़े.'

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से गठित समिति के संयोजक रिटायर्ड IAS अधिकारी अफजल अमानुल्लाह थे. पूर्व न्यायाधीश एसएस पार्कर, भारतीय हज समिति के पूर्व अध्यक्ष कैसर शमीम और इस्लामी जानकार कमाल फारूकी सदस्य थे तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में हज प्रभारी संयुक्त सचिव जे. आलम समिति के सदस्य सचिव थे.

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नकवी ने कहा, '2018 में हज नई हज नीति के तहत होगा. प्रस्तावित सुविधाओं को देखते हुए यह एक बेहतर नीति है. यह पारदर्शी और जनता के अनुकूल नीति होगी. यह हज यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.'

नई हज नीति में हज समिति और निजी टूर ऑपरेटरों के जरिये जाने वाले हजयात्रियों के अनुपात को भी स्पष्ट किया गया है. अब कुल कोटे के 70 फीसदी हज यात्री हज समिति के जरिये जाएंगे तो 30 फीसदी निजी टूर ऑपरेटरों के जरिये हज पर जाएंगे.

अब 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं बिना मेहरम के हज पर जा सकेंगी, हालांकि वे चार महिलाओं के समूह में जा सकेंगी. मेहरम के लिए कोटा 200 से बढ़ाकर 500 किया जाने का भी प्रस्ताव है. बता दें कि मेहरम उसे कहते हैं जिससे महिला का निकाह नहीं हो सकता. मसलन, पिता, सगा भाई, बेटा और पौत्र-नवासा मेहरम हो सकते हैं.

अब हज के लिए प्रस्थान स्थलों की संख्या को 21 से हटाकर नौ किया जाएगा. दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता, अहमदाबाद, मुंबई , चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलूरू और कोच्चि से लोग हज के लिए प्रस्थान कर सकेंगे. इन शहरों में उपयुक्त हज भवनों के निर्माण और दूरदराज के इलाकों और इन प्रस्थान स्थलों के बीच संपर्क बेहतर करने का प्रस्ताव भी दिया गया है.

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समुद्री रास्ते से हज के सफर के विकल्प पर सऊदी अरब सरकार से विचार विमर्श करने और पोत कंपनियों की रुचि एवं सेवा की थाह लेने के लिए विज्ञापन देने का भी प्रस्ताव है.

नयी हज नीति के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए हज कोटे का प्रावधान उनकी यहां की मुस्लिम आबादी के अनुपात में किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर के लिए कोटा 1500 से बढ़ाकर 2000 करने का भी प्रस्ताव है. नई हज नीति में प्रस्ताव किया गया है कि भारतीय हाजियों को ठहराना मीना की पारंपरिक सीमाओं के भीतर सुनिश्चित किया जाए.

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