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भयानक सूखे की चपेट में छत्तीसगढ़, 27 में से 21 जिले सूखाग्रस्त घोषित

छत्तीसगढ़ किसान संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र पांडे को अंदेशा है कि राज्य में अकाल की स्थिति बन गई है. क्योंकि, हालात सूखे के आगे बढ़ गए हैं. गावों में पानी नहीं है, नदी नाले सूखे हैं. बांधो में पानी नहीं है और खाने के लिए खेतो में फसल नहीं है. उनका आरोप है कि सूखे से निपटने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है. राज्य के कई इलाको में किसान प्रदर्शन कर रहे है. वो सरकार के तमाम दावों को छलावा बता रहे है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
आदित्य बिड़वई/सुनील नामदेव
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  • 12 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:46 PM IST

छत्तीसगढ़ भयंकर सूखे की चपेट में हैं. सरकार ने राज्य की 27 में से 21 जिलों की 96 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है. मुख्यमंत्री रमन सिंह की कैबिनेट ने राज्य में सूखे के चलते बन रहे हालात पर चिंता जाहिर की है. राज्य की 96 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करने के बाद कैबिनेट ने फैसला किया है कि, मनरेगा के तहत 150 की जगह 200 दिन काम करवाए जाएंगे, ताकि किसानों को रोजी रोटी मिल सके.

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राज्य सरकार जल्दी ही केंद्र सरकार को सूखे की स्थिति पर रिपोर्ट भी भेजेगी. उधर, किसानों ने राज्य की बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने लेटलतीफी बरती और किसानों को राहत देने के लिए कोई कार्य योजना तैयार नहीं की. किसानों ने राज्य की बीजेपी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप भी लगाया है. उनकी मांग है कि पुरे प्रदेश को सूखा ग्रस्त घोषित किया जाए ना की कुछ तहसीलों को.  

रायपुर के मंत्रालय में एक ओर जहां मुख्यमंत्री रमन सिंह की कैबिनेट राज्य में सूखे के हालात पर माथापच्ची कर रही थी , वहीं, दूसरी ओर राज्य के कई हिस्सों में किसान आंदोलन कर रहे थे. मसला सूखे से बने हालात पर कोई ठोस कार्ययोजना समय पर तैयार नहीं करने से जुड़ा था. अब जब मानसून खत्म होने पर आया है तब रमन कैबिनेट ने किसानो को खुश करने के लिए राज्य के 21 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है.

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आनावारी रिपोर्ट आने पर मिलेगा मुआवजा

सरकार ने तय किया है कि आनावारी रिपोर्ट आने के बाद किसानों को फसल की क्षति पर मुआवजा मिलेगा और फसल बीमा की राशि भी जल्द दिलाने का प्रयास होगा. सूखा प्रभावित जिलों में भू राजस्व माफ़ किया जाएगा. किसानों को मनरेगा में अब 150 की बजाए 200 दिन काम दिलाये जाएंगे. रोजगार के और दूसरे काम खोले जाएंगे. सूखा प्रभावित जिलों में पीने के पानी की समस्या के निपटारे के लिए केंद्र सरकार से मदद भी ली जाएगी.   

मुख्यमंत्री रमन सिंह के मुताबिक, किसानों की सहायता के लिए वे बहुत गंभीर है. उन्हें ज्यादा से ज्यादा सहायता देने के लिए कृषि, बिजली, PWD समेत दूसरे विभागों से राहत देने के लिए कदम उठाने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक गांव के एक-एक घर में पानी ले जाना सरकार की प्राथमिकता है.

किन तहसीलों को किया सूखा घोषित...

सरकार ने रायपुर, बलौदाबाजार, गरियाबंद , महासमुंद , धमतरी , दुर्ग , बालोद , बेमेतरा, कबरीधाम, राजनांदगांव, कोंडागांव , नारायणपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, बिलासपुर , मुंगेली , रायगढ़ , जांजगीर और कोरिया जिले की कुल 96  तहसीलों को सूखा ग्रस्त घोषित किया है, लेकिन सूखे के चलते राज्य में हालात दिनों दिन बिगड़ते जा रहे हैं. दुर्ग और बेमेतरा जिले में तो अब तक मात्र 22 सेंटीमीटर तक ही बारिश हो पाई है.

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इस इलाके में किसानो ने बड़ी उम्मीदों से फसल बोई है, लेकिन बारिश नहीं होने के चलते उनके अरमानों पर पानी फिर गया. अब किसान सूख चुकी फसलों को मवेशियों को खिला रहे है. खेत खलियानों में मवेशियों को छोड़ दिया गया है, ताकि कमोवेश वो अपना पेट भर सके.

यही नहीं, सूखे के चलते हरे भरे खेत भी अब बंजर जमीन की तरह नजर आने लगे है. किसानों के पास दोबारा बुआई के लिए ना तो पैसा है और ना ही पेट भरने के लिए कोई और पुख्ता साधन. राज्य के सभी जिलों के बजाए मात्र 16 तहसीलों को सूखा ग्रस्त घोषित करना किसानों को रास नहीं आ रहा है. सरकार के इस फैसले से किसान नाराज है. उनके मुताबिक पूरे 22 जिलों के बजाए मात्र 16 तहसीलों को सूखा ग्रस्त घोषित कर सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है.     

क्या कहना है किसान संघ का...

छत्तीसगढ़ किसान संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र पांडे को अंदेशा है कि राज्य में अकाल की स्थिति बन गई है. क्योंकि, हालात सूखे के आगे बढ़ गए हैं. गावों में पानी नहीं है, नदी नाले सूखे हैं. बांधो में पानी नहीं है और खाने के लिए खेतो में फसल नहीं है. उनका आरोप है कि सूखे से निपटने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है. राज्य के कई इलाको में किसान प्रदर्शन कर रहे है. वो सरकार के तमाम दावों को छलावा बता रहे है.

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वीरेन्द्र के मुताबिक, पार्टी घोषणा पत्र से लेकर कई आम सभाओ में  बीजेपी के नेताओ और उसके मंत्रियों ने किसानो की माली हालत मजबूत करने, फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाने, उन्हें बोनस देने और ऋण माफ़ करने को लेकर कई बार वादे किए. लेकिन उन वादों को कभी भी अमलीजामा नहीं पहनाया. किसान इस बात से भी नाराज है कि राज्य में मानसून ब्रेक के चलते सूखे का अंदेशा दो महीने पहले ही लग चुका था. इसके बावजूद राज्य की बीजेपी सरकार हाथ पर धरे बैठी रही.

 

 

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